केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ रैली
विपक्षी दलों का गठबंधन ‘इंडिया’ देश के हितों और लोकतंत्र की रक्षा के लिए 31 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में महारैली करेगा।प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन के मामले के संबंध में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बृहस्पतिवार 21 मार्च को गिरफ्तार कर लिया था, जिसके बाद आप की दिल्ली इकाई के संयोजक गोपाल राय और कांग्रेस पार्टी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में महारैली घोषणा की है। आप ‘इंडिया’-इंडियन नेशनल डवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस-का घटक दल है। महारैली में ‘इंडिया’ गठबंधन का शीर्ष नेतृत्व शिरकत करेगा।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने आरोप लगाया कि विपक्षी दलों को समान अवसर नहीं दिए जा रहे हैं। लवली ने केजरीवाल की गिरफ्तारी पर रोष जताते हुए अपनी पार्टी के खातों को ‘फ्रीज’ (लेन देन पर रोक) का भी जिक्र किया। कहा कि महारैली न सिर्फ राजनीतिक रैली होगी, बल्कि देश में लोकतंत्र को बचाने और भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ साझा आवाज उठाने का भी आह्वान करेगी। बहरहाल, केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ विपक्षी गठबंधन की ऐसी तैयारियों से लगता है कि वह अपने प्रति आम जन के मन में सहानुभूति पैदा करना चाहता है।
दरअसल, आप और ‘इंडिया’ गठबंधन को लगता है कि अन्ना आंदोलन से निकले केजरीवाल की ईमानदार होने की जो छवि है, उसे सहानुभूति में बदला जाए। विपक्ष इसलिए भी उत्साहित है कि एक जमाने में इंदिरा गांधी, जयललिता और लालू प्रसाद यादव ने अपनी गिरफ्तारी पर स्वयं को उत्पीडि़त दिखाकर आम जन के मन में सहानुभूति की लहर पैदा कर दी थी। और इसके सहारे राजनीतिक रूप से कमबैक करने में सफल रहे। बेशक, जनता के मन में यह भाव रहा है कि केजरीवाल सरकार को काम नहीं करने दिया जा रहा। उपराज्यपाल के साथ उनकी सरकार के टकराव से इस धारणा को बल मिला है। कई मौकों पर उपराज्यपाल के निर्देश और आदेशों के खिलाफ अदालत का दरवाजा तक खटखटाया गया और इसका स्पष्ट संदेश भी जनता तक इस रूप में पहुंचा कि केंद्र केजरीवाल सरकार के कामकाज में अड़चन डाल रहा है।
केजरीवाल भी बड़ी कुशलता से संदेश आम जन तक पहुंचाने में सफल रहे हैं। समूचा विपक्ष अब इसी प्रकार की ‘सिंपेथी’ की तलाश में है।