इलाज में जुटी थी नौ डॉक्टरों की टीम
बांदा। करीब ढाई साल से बांदा जेल में बंद पूरब के माफिया मुख्तार अंसारी की गुरुवार देर रात हार्ट अटैक (कार्डिया अरेस्ट) से मौत हो गई। मुख्तार को मौत से करीब तीन घंटे पहले ही इलाज के लिए मंडलीय कारागार से मेडिकल कॉलेज लाया गया था। जहां नौ डॉक्टरों की टीम उसके इलाज में जुटी थी। रात करीब साढ़े दस प्रशासन ने मुख्तार की मौत की सूचना सार्वजनिक की। तब तक मुख्तार के परिवार का कोई सदस्य मेडिकल कॉलेज नहीं पहुंचा था। गुरुवार शाम करीब साढ़े छह बजे मुख्तार की जेल में तबीयत बिगड़ी थी। इसके बाद प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे और करीब साढ़े आठ बजे के आसपास उसे मेडिकल कॉलेज लाया गया था। जहां दो घंटे तक उसका इलाज चला। उसे आईसीयू से सीसीयू में शिफ्ट किया गया। जहां रात साढ़े दस बजे के आसपास उसकी मौत हो गई।
तीन दिनों से बीमार चल रहे जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की तबीयत गुरुवार रात अचानक फिर बिगड़ गई। सूचना मिलते ही जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल, एसपी अंकुर अग्रवाल कई थानों की पुलिस फोर्स के साथ मंडलीय कारागार पहुंचे। करीब 40 मिनट तक अधिकारी जेल के भीतर रहे। इसके बाद मुख्तार को एंबुलेंस से दोबारा मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। बताया जा रहा है कि मुख्तार को दिल का दौरा पड़ा है। रात में अस्पताल में उसका निधन हो गया। दरअसल, दो दिन पहले 26 मार्च को मुख्तार ने जेल प्रशासन से पेट में दर्द की शिकायत की थी। इसके बाद उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। जहां डॉक्टरों ने ज्यादा खाने (ओवरईटिंग) व कब्ज का इलाज किया गया और 14 घंटे बाद उसी दिन देर शाम उसे वापस मंडलीय कारागार भेज दिया गया था।
दो दिन पहले जब मुख्तार की हालत बिगड़ने पर उसे जेल से मेडिकल कॉलेज लाया गया था, तभी उसे भाई अफजाल और बेटे उमर अब्बास ने पिता की मौत की आशंका जताई थी। जेल प्रसासन पर गंभीर आरोप लगाए था। अफजाल ने तो यह तक कहा था कि उसके भाई की हत्या का सातवीं बार प्रयास किया गया है। इस बार भी 19 मार्च को उन्हें खाने में जहर दिया गया था। वहीं बेटे उमर ने भी प्रशासन पर आरोप मढ़ते हुए कहा था कि उसे पिता से मिलना तो दूर शीशे से देखने तक नहीं दिया गया था। उधर, माफिया मुख्तार अंसारी के सारे मामलों की सुनवाई यूपी छोड़कर अन्य राज्य की अदालत में कराने के साथ उसकी जेल की भी बदलने की मांग हुई है। मुख्तार के अधिवक्ता की ओर से हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि उसे दो बार बांदा जेल में दोपहर के खाने में जहर दिया गया। शासन प्रशासन उसकी हत्या कराना चाहता है। पूर्व एमएलसी विजय सिंह को बचाने के लिए उसके खिलाफ गवाही देने से रोका जा रहा है। बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की दो दिन पूर्व तबीयत खराब होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मुख्तार के अधिवक्ता सौभाग्य मिश्रा का आरोप है कि उनके साथ जेल में संविधान से हटकर कार्रवाई की जा रही है।
उनके बेटे उमर व अन्य परिजन को मिलने या बात करने तक नहीं दी गई। 40 दिन पहले भी उसे भोजन में जहर दिया गया। दस दिन पहले भी दोपहर के भोजन में जहर दिया गया। उनका आरोप है कि जेल अधिनियमों के विपरीत शासन प्रशासन कार्य कर रहा है। दरअसल, एमपीएमएलए कोर्ट गाजीपुर में पूर्व विधायक विजय सिंह को बचाने के लिए उनकी गवाही रोकी जा रही है इसलिए पेशी नहीं कराई जा रही। हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई।