Uttarakhand

परिवहन विभाग मुख्य मार्गों पर वाहनों की अधिकतम गति-सीमा का फिर से करेगा निर्धारण 

प्रमुख मार्गों पर लगेंगे एसएलवीडी कैमरे
देहरादून। लगातार बढ़ रही सड़क दुर्घटना और सड़कों के चौड़ीकरण को देखते हुए परिवहन विभाग देहरादून शहर में मुख्य मार्गों पर वाहनों की अधिकतम गति-सीमा का दोबारा निर्धारण करने जा रहा है। दो वर्ष पहले निर्धारित की गई गति-सीमा पर वर्तमान परिदृश्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, वर्तमान में जो गति-सीमा तय है, उसमें कई बाईपास व प्रमुख मार्ग ऐसे हैं, जहां कार की अधिकतम गति 30 किमी प्रतिघंटा है। ऐसे में लोग सवाल उठा रहे हैं कि सड़कों के चौड़ीकरण या विकास का क्या लाभ है, जब गति-सीमा ””बैलगाड़ी”” के समान रखनी है। वहीं, कुछ ऐसे मार्ग भी हैं जहां गति-सीमा अधिक होने के कारण दुर्घटना बढ़ रही हैं। ऐसे में विभाग ने इस बार सड़कों पर तीन समय (सुबह-दोपहर-शाम) वाहनों का दबाव और औसत गति का वैज्ञानिक विधि से अध्ययन करने की तैयारी की है।
आरटीओ (प्रवर्तन) शैलेश तिवारी ने बताया कि वाहनों की गति-सीमा जब दो वर्ष पूर्व निर्धारित की गई थी, तब कई राजमार्ग व बाईपास पर चौड़ीकरण या अन्य निर्माण कार्य चल रहे थे। हरिद्वार बाईपास समेत आशारोड़ी, शिमला बाईपास, सहस्रधारा रोड व शहर के कई मुख्य मार्गों का चौड़ीकरण कार्य पूरा हो चुका है। ऐसे में इन मार्गों पर परीक्षण के बाद गति-सीमा बढ़ाई जाएगी। परिवहन विभाग तीन अलग-अलग समय पर मुख्य मार्गों का परीक्षण करेगा। सुबह, दोपहर और शाम के समय वाहनों का दबाव और औसत गति-सीमा का आंकलन किया जाएगा। उस आधार पर मार्ग की गति-सीमा निर्धारित की जाएगी। कुछ दुर्घटना संभावित मार्गों पर दिन और रात के समय अलग-अलग गति-सीमा निर्धारित करने पर भी विचार किया जाएगा।
सभी प्रमुख मार्गों पर अब स्पीड लिमिट वायलेशन डिटेक्टर (एसएलवीडी) कैमरे भी लगाए जाएंगे। वर्तमान में आशारोड़ी, एफआरआई, एनआईवीएच, नंदा की चौकी और मोहकमपुर में एसएलवीडी कैमरे कार्य कर रहे हैं। साथ ही चार इंटरसेप्टर वाहन व स्पीड रडार गन से बेलगाम गति वाले चालकों का चालान किया जा रहा है। सार्वजनिक सेवायान में गति-सीमा निर्धारित करने के लिए स्पीड गर्वनर अनिवार्य किया जा चुका है। आरटीओ ने बताया कि इंटरसेप्टर में स्पीड रडार गन में लगे कैमरे से वाहन पर फोकस किया जाता है। डिवाइस संबंधित वाहन की फोटो लेकर उसकी गति बताता है व उसी आधार पर ई-चालान किया जाता है। आरटीओ ने बताया कि एसएलवीडी कैमरे में वाहन की गति के साथ फोटो आ जाती है, जिसे साफ्टवेयर में अपलोड करने के बाद चालान घर भेजा जाता है।