लोहाघाट के भाजपा विधायक पूरन सिंह फर्त्याल को पार्टी ने अनुशासनहीनता के मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
प्रदेश महामंत्री व कार्यालय प्रभारी कुलदीप कुमार की ओर से जारी नोटिस में
फर्त्याल को सात दिन में जवाब देने को कहा गया है।
जवाब प्राप्त होने के बाद पार्टी आगे की कार्रवाई करेगी।
प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि
पार्टी ने विधायक फर्त्याल के सार्वजनिक मंचों से की गई बयानबाजी का संज्ञान लिया है।
भगत ने कहा कि भाजपा एक अनुशासित पार्टी है,
जो आचरण विधायक की ओर से किया गया है, उस संबंध में उनसे पूछा गया है।
उन्होंने कहा कि पार्टी ने फर्त्याल के मामले को गंभीरता से लिया है।
उन्होंने पार्टी फोरम से बाहर सार्वजनिक रूप से जो बयानबाजी की है, उससे सरकार और पार्टी की छवि धूमिल हो रही है।
कारण बताओ नोटिस में भी फर्त्याल के विधानसभा में नियम 58 के तहत कार्य स्थगन का प्रस्ताव लाए जाने पर एतराज जताया गया है।
इसे अनुशासनहीनता की श्रेणी माना गया है।
पत्र में पार्टी के संविधान का धारा 25 घ व 25 च का जिक्र किया गया है।
इन धाराओं के तहत पार्टी के मामले को मीडिया के सामने ले जाने व पार्टी की प्रतिष्ठा कम करने के उद्देश्य से काम करने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है।
लोहाघाट विधायक पूरन सिंह फर्त्याल का आरोप है कि सामरिक महत्व की टनकपुर-जौलजीवी सड़क के टेंडर में करोड़ों का घोटाला हुआ है।
वे इस मामले में ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
उनकी मांग पर इस प्रकरण में कई इंजीनियरों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है।
ठेकेदार का टेंडर भी निरस्त हो चुका है।
सरकार के फैसले के खिलाफ ठेकेदार ने कोर्ट में गुहार लगाई।
आर्बिट्रेटर ने ठेकेदार के पक्ष में फैसला दिया।
सरकार को आदेश दिया कि वह ठेकेदार को करीब सात करोड़ रुपये भुगतान करे।
सरकार ने चीन के साथ सीमा विवाद को देखते हुए सामरिक महत्व का तर्क दिया और कहा कि फैसले को अदालत में चुनौती देने से सड़क निर्माण का मामला लंबा खिंच जाएगा।
इसलिए ठेकेदार को यह काम दे दिया गया और उसने भी सरकार से धनराशि नहीं ली।
लेकिन फर्त्याल इस पूरे मामले में गंभीर अनियमितता की शिकायत कर रहे हैं।
इसे लेकर उन्होंने पहले भी बयान दिया, जिस पर पार्टी ने उन्हें नोटिस जारी किया था।
उन्हें सार्वजनिक मंच पर बयानबाजी न करने की हिदायत दी गई थी।
लेकिन फर्त्याल चुप नहीं बैठे। उन्होंने विधानसभा सत्र में प्रकरण में कार्य स्थगन सूचना दे दी।
साथ ही सरकार के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस पर सवाल खड़े किए। उनके इस रुख को पार्टी ने बेहद गंभीरता से लिया है।
भाजपा विधायक पूरन सिंह फर्त्याल ने कहा कि विधायक होने के नाते उन्होंने विधानसभा में कार्य स्थगन की सूचना लगाई थी।
इस मामले में डेढ़ साल पहले उन्होंने कार्य स्थगन की सूचना दी थी, तब ठेकेदार का टेंडर निरस्त हुआ, अधिकारी सस्पेंड हुए तब संगठन के लोगों ने मेरी पीठ थपथपाई।
उस समय कोई नोटिस नहीं दिया गया।
फर्त्याल ने कहा कि नियमों में कही ऐसा नहीं है कि सत्ता पक्ष का विधायक कार्य स्थगन की सूचना नहीं दे सकता है।
पहले भी विधायक कार्य स्थगन की सूचना दे चुके हैं।
उन्होंने कहा कि नोटिस मिलने के बाद वह पार्टी को अपना जवाब देंगे।
उन्होंने कहा कि मामला गंभीर है। इस पूरे मामले में लीपापोती हो रही है।
नियम 58 के तहत मुझे नोटिस दिया जाता है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा।