देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में विरासत के 23 वें संस्करण का शानदार आगाज हुआ।
हज़ार साल पुराने इस नृत्य की उत्पत्ति ख़ासिया साम्राज्य में हुआ। यह नृत्य दसवीं शताब्दी से प्रचलन में है जब विवाह तलवारों की नोक पर हुआ करते थे।
बाद में यह नृत्य राजपूत घरानों में प्रचलन में रहा। पुरानी परंपराओं को जीवित रखते हुएए इस नृत्य में राजपूत लोग विवाह के समय अपने यह से दुल्हन के घर तक नाचते हुए जाते हैं और यह विशेष रूप से पुरुषों द्वारा संचालित किया जाता है। यह नृत्य तलवारों और ढालो के साथ जोड़ी में किया जाता है।
स्पर्ष जन जाती समाजिक सांस्कृतिक संस्थान, चकराता ने श्रीण्भगत सिंह राणा के कुशल मार्गदर्शन में छोलिया नामक लोक नृत्य का प्रदर्शन किया। उद्घाटन नृत्य महासू देवता के लिए प्रार्थना थी। प्रार्थना में साथ दमाऊ, ढोल और रणसिंघा शामिल थे। इसके बाद उन्होंने तांडी नृत्य का प्रदर्शन कियाए जो शादी और त्योहारों का जश्न मनाने वाला नृत्य था। सुंदर पारंपरिक पोशाक में भाग लेने वाले जोड़ों ने इस विरासत उत्सव की शान में चार चांद लगा दिए।
शुभारंभ के बाद आज की विशेष प्रस्तुति में ग्रैमी अवार्ड से सम्मानित एवं मोहन वीणा के निर्माता विश्व मोहन भट्ट एवं उनके पुत्र सलिल भट्ट ने अपनी मोहन वीणा की जुगलबंदी से दर्शकों का मन मोह लिया । मोहन वीणा की ऐसी जुगलबंदी देहरादून वासियों के लिए ऐसा पहला अवसर रहा। विश्व मोहन भट्ट जी पूरी दुनिया को पहले ही अपनी शैली का दीवाना बना चुके हैं ।
विश्व मोहन भट्ट ने पश्चिमी हवाईयन गिटार के अपने सफल संयोजन द्वारा सितार ए सरोद और वीणा तकनीकों से अपने सम्पूर्ण आत्मसात के द्वारा अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया है। एक सुविकसित डिज़ाइन देकर एवं 14 अतिरिक्त तार जोड़कर विश्व मोहन जी ने मोहन वीणा को एक विशेष प्रकार से बनाया है । प्रभावशाली गति और दोषरहित लय के साथ, भट्ट निस्संदेह दुनिया में सबसे अधिक और महान स्लाइड प्लेयर में से एक है।
विश्व मोहन ने संयुक्त राज्य, अमेरिका, यूएसएसआर, कनाडा, ग्रेट ब्रिटेन, जर्मनी, स्पेन, फ्रांस, इटली, नीदरलैंड, स्कॉटलैंड, स्विट्जरलैंड, डेनमार्क, दुबई, अल.शारजाह, बहरीन, मस्कट, अबू धाबी आदि एवं पूरे भारत में प्रदर्शन किया है
विश्व मोहन भट्ट के पुत्र एवं सात्विक वीणा के निर्माता सलिल भट्ट ने सात्विक वीणा को पूरी तरीके से लकड़ी से बनाया है । जिसका आकार गिटार से मिलता जुलता है । लकड़ी से बने होने के कारण सात्विक वीणा का स्वर भारी हो जाता है और यही इस सात्विक वीणा की विशेषता है। सलिल भट्ट को श्स्लाइड टू फ्रीडम के लिए कनाडा के संगीत के सबसे प्रसिद्ध अवार्ड श्जूनो अवार्डश् से भी सम्मानित किया गया है।
इस एल्बम में सलिल ने हम कनाडियन ब्लूज लीजेंड डॉग कॉक्स के साथ मिलकर ब्लूज संगीत एवं भारतीय संगीत का समायोजन दर्शाया है।
कार्यक्रम की शुरुआत खुद पंडित द्वारा रचित विश्वरंजिनी नामक नए राग से करेंगे। यह कर्नाटिक और हिंदुस्तानी संगीत का एक संयोजन है जो की पंडित जी ने खुद बनाया है। यह संदेश देता है कि संगीत क्षेत्र में भेदभाव नहीं किया जा सकता।
इसके बाद वह अपने ग्रैमी विजेता एल्बम से अपनी रचना श्ए मीटिंग बाय द रिवरश् बजाएंगे। फिर सलिल भट्ट भोपाली पहाड़ी में धुन बजाएंगे। इसके बाद वे वैष्णव जनए गांधीजी के पसंदीदा भजन और वन्दे मातरम की प्रस्तुति भी देंगे। विश्व मोहन भट्ट जी के साथ तबला पे उनका साथ दिया हिमांशु महंत ने जो कि मेस्ट्रो बिस्मिल्लाह खान अवार्ड से सम्मानित है।