देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को पत्र लिखकर
उत्तराखण्ड के ग्रामीण एवं पर्वतीय क्षेत्रों में कोरोना महामारी के चलते प्रवासी नागरिकों की वापसी पर
उनके लिए बनाये गये क्वारेटाइन सैन्टरों की बदहाली तथा अव्यवस्थाओं के चलते हुई ग्रामीणों की मौत पर
चिन्ता प्रकट करते हुए मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रूपये का मुआबजा दिये जाने की मांग की है।
उपरोक्त जानकारी देते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष सूर्यकान्त धस्माना ने बताया कि मुख्यमंत्री
को लिखे पत्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार की गाईड लाईन के अनुरूप
उत्तराखण्ड सरकार द्वारा अपने राज्य के प्रवासी नागरिकों की घर वापसी के लिए प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी
गई है जिसके चलते बडी संख्या में लोग अपने घरों को वापस आने शुरू हो गये हैं तथा प्रदेश के ग्रामीण
एवं पर्वतीय जनपदों में प्रवासी नागरिकों की वापसी पर उन्हें गांव के विद्यालयों में बने अस्थायी क्वारेंटाइन
सैन्टर में रखा जा रहा है परन्तु इन क्वारेंटाइन सैन्टरों में व्यवस्थाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है। ग्रामीण
क्षेत्रों में बनाये गये इन क्वारेंटाइन सैन्टरों में पीने के पानी तथा शौचालय तक की कोई व्यवस्था नहीं है।
उन्होंने कहा कि पर्वतीय जनपदों के ग्रामीण क्षेत्रों में बनाये गये कोरेन्टाइन सैन्टरों में बदहाली एवं बद
इंतजामी के हालात ऐसे हैं कि जनपद नैनीताल के बेतालघाट कोरेन्टाइन सैन्टर में एक 4 वर्ष की बच्ची की
जहरीले सांप के काटने से मृत्यु हो गई, जनपद पौडी गढ़वाल के बीरोंखाल ब्लाक के बिरगणा गांव तथा
पाबौ ब्लाक के पीपली गांव के क्वारेंटाइन सैन्टरों में उपचार न मिलने के कारण दो युवकों की मौत हो गई,
जनपद चम्पावत में लधिया घाटी के बालातडी गांव में छात्रा की होम क्वारेंटाइन में मौत तथा उत्तरकाशी में
क्वारेंटाइन सैन्टर में उपचार न मिलने के कारण एक युवक को देहरादून भेजा गया परन्तु उपचार से पूर्व
उसकी मौत हो गई। वहीं रूद्रपुर में एक लडकी की लाश तीन दिन तक कोरोना रिपोर्ट के इंतजार में
सड़ती रही। इसके अलावा विकासखण्ड द्वारीखाल के जसपुर गांव में संदीप कुमार नामक युवक जिसे घर
वापसी पर 6 दिन के लिए क्वारेंटाइन किया गया था, ने आर्थिक तंगी के चलते आत्म हत्या कर ली। ये सभी
घटनायें राज्य सरकार की लापरवाही एवं क्वारेंटाइन सैन्टरों की बदहाली एवं बदइंतजामी की कहानी बयां
करते हैं तथा इससे ऐसा लगता है कि कोरोना महामारी की बजाय क्वारेंटाइन सैन्टरों में बद इंतजामी के
चलते लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है। मेरे द्वारा पूर्व में भी राज्य सरकार से आग्रह किया
गया था कि बाहर से आने वाले प्रवासियों के क्वारेंटाइन की व्यवस्था बेस कैम्पों में ही की जानी चाहिए तथा
बेस कैम्पों में संख्या बढ़ने की स्थिति में जिला, तहसील अथवा ब्लाक मुख्यालयों में क्वारेंटाइन सैन्टर बनाये
जाने चाहिए। प्रीतम सिंह ने मुख्यमंत्री से मांग की कि प्रवासी नागरिकों के लिए बनाये गये क्वारेंटाइन सैन्टरों
की व्यवस्था सुधारी जाये तथा सभी मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रूपये मुआबजे के रूप में दिये
जाएं।