मुख्य सचिव से मिले कांग्रेसी, मलिन बस्तियों को दें मालिकाना हक
देहरादून। पूर्व विधायक राजकुमार के नेतृत्व में प्रदेश की मुख्य सचिव राधा रतूडी से मुलाकात कर राज्य की मलिन बस्तियों के बारे अवगत कराया तथा समस्त बस्तियों को मालिकाना हक़ दिये जाने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा और इस मामले पर शीघ्र ही कार्यवाही किये जाने का अनुरोध किया।
इस अवसर पर पूर्व विधायक राजकुमार ने ज्ञापन में कहा है कि पूर्व में कांग्रेस सरकार द्वारा मलिन बस्तियों के मालिकाना हक के लिए नियमावली बनाई गयी थी, जिसको कैबिनेट व विधानसभा द्वारा पास कर मलिन बस्तियों के रख-रखाव के लिए चार सौ करोड़ का प्रावधान किया गया था तथा कांग्रेस पार्टी के द्वारा गठित समिति के सर्वेक्षण के अनुसार उत्तराखण्ड में 582 मलिन बस्तियां है जिनमें प्रदेश भर में लगभग 15 लाख से अधिक की आबादी बसी हुई है।
ज्ञापन में कहा गया कि देहरादून नगर क्षेत्र में पांच लाख से अधिक की आबादी है तथा जहां दो लाख से अधिक कच्चे, पक्के भवन निर्मित हैं। यह बस्तियां बहुत लम्बे समय 1977 से 1980 के बीच बसी हुई है, यदि इन्हें पूर्व में पट्टे दे दिए गये होते तो आज यह फ्री होल्ड होने की स्थिति में हो जाते। ज्ञापन में कहा गया कि इस क्षेत्र में भूमि अधिकांश शासन की है, जो किन्हीं प्रयोजन हेतु शासन द्वारा सिंचाई विभाग, सार्वजनिक निर्माण विभाग, विधुत विभाग आदि को आवंटित की गयी थी।
ज्ञापन में कहा गया कि उक्त भूमि का सम्बन्धित विभाग द्वारा प्रयोग करने के बाद भी कुछ अतिरिक्त भूमि बच गयी थी, जिस पर कई लोग काबिज जो गए हैं। इस तरह से राज्य के अन्तर्गत जो भी भूमि है, चाहे वह नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत, सिंचाई विभाग,लोक निर्माण विभाग या राज्य के किसी भी विभाग की हो उसका स्वामित्व राज्य सरकार के पास ही होता है, उस भूमि का जनहित में उपयोग करने का अधिकार राज्य सरकार का है।
ज्ञापन में कहा गया कि इसलिए वहां निवासरत सभी को भू-स्वामित्व व मालिकाना हक दिया जाना ही उचित है। उन्होंने कहा कि पूर्व में इसी के साथ ही मलिन बस्तियों के हित के लिए मलिन बस्तियों का सर्वे शुरू कर दिया गया था, जिसके उपरान्त दो अक्टूबर 2016 को लगभग 70 से 100 लोगों को मालिकाना हक देने का कार्य शुरू कर दिया था, लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार द्वारा इसे रोक दिया गया, भाजपा सरकार मलिन बस्तियों के विरूद्ध कार्य करती आ रही है और जिससे मलिन बस्तीवासी बहुत ही परेशानी में है तथा वर्ष 2018 में भाजपा सरकार द्वारा तीन वर्ष के लिए मलिन बस्तियों हेतु अध्यादेश लाया गया था।
ज्ञापन में कहा गया कि जिसका अब 2021 में तीन वर्ष के लिए इसका नवीनीकरण हुआ है परन्तु यह कुछ वर्षों का अस्थायी हक देने से मलिन बस्तियों पर हमेशा तलवार लटकी रह जाएगी तथा शासन- प्रशासन से आदेश जारी कर मलिन बस्तियों को स्थायी किया जाये ताकि मलिन बस्ती निवासियों को भ्रम की स्थिति पैदा न हो और उन्हें परेशानियों से निजात मिले।
ज्ञापन में कहा गया कि वर्ष 2021 में 03 वर्ष के लिए अध्यादेश लाया गया था जिसकी अवधि अगले माह ही समाप्त हो रही है। ज्ञापन में कहा गया कि नियमावली के अनुरूप वर्ष 2000 के सर्किल रेट के अनुसार मलिन बस्तियों में मकानों पर स्टाम्प शुल्क लेकर उन्हें मालिकाना हक दिया जाये, इससे राज्य सरकार को राजस्व की प्राप्ती भी होगी। महोदया कैबिनेट द्वारा 2016 में पारित नियमावली के अनुरूप मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए इन मलिन बस्ती वासियों को मालिकाना हक ही दिया जाये, जिससे गरीब तबके को एक सिर छुपाने के लिए एक स्थायी सहारा मिल सके।
ज्ञापन में उन्होंने मलिन बस्तियों के हित के लिए मलिन बस्तियों को स्थायी किया जाए व पूर्ण रूप से मालिकाना हक दिया जाये की पुरजोर तरीके से मांग उठाई। उन्होंने मुख्य सचिव से प्रदेश में नजूल की भूमि को फ्री होल्ड करने की भी मांग की। इस अवसर पर ज्ञापन देने वालों में पूर्व महानगर अध्यक्ष लालचन्द शर्मा, पार्षद निखिल कुमार, जहांगीर खान , राकेश पवार आदि शामिल रहे।