नैनीताल। उधम सिंह नगर जिले के पन्तनगर कृषि विश्वविद्यालय में इंसानियत शर्मसार हो गयी ।
उत्तराखण्ड में पन्तनगर के कृषि विश्वविद्यालय के कर्मचारी को कोरोना ड्यूटी से छुट्टी नहीं दी गयी,
जिससे उसकी गर्भवती पत्नी की देखभाल नहीं हो सकी और
उसके गर्भस्थ दो बच्चे जन्म लेने से पहले ही काल के गाल में समा गए।
बुधवार रात रुद्रपुर के निजी अस्पताल में गर्भ में ही जुड़वा बच्चों ने दम तोड़ दिया।
कोरोना ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी ने आरोप लगाया है कि उसको गर्भवती पत्नी की देखभाल के लिए छुट्टी नहीं दी गयी,
जिससे बुधवार देर शाम उसकी पत्नी की अचानक तबियत खराब हो गई ।
पीड़ित कर्मचारी पति ने अधिकारियों पर जान बूझकर छुट्टी नहीं देने का आरोप लगाया है,
जुलाई से अबतक वह छुट्टी के लिए कई बार प्रार्थना पत्र दे चुका है।
पन्तनगर विश्वविद्यालय को जिला प्रशासन द्वारा क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया गया है,
जिसमे विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को भी तैनात किया गया है।
दो माह पहले सी.बी.एस.एच.कॉलेज में प्रधान सहायक पद पर तैनात अनुराग शर्मा की ड्यूटी क्वॉरेंटाइन सेंटर में लगा दी गयी थी।
घर मे गर्भवती पत्नी की देखभाल के लिए कोई भी मौजूद नही था। पिछले 20 दिनों से उनकी पत्नी को तकलीफ होने लगी थी।
जिसको लेकर अनुराग द्वारा डेम दफ्तर में छुट्टी के लिए प्रार्थना पत्र भी दिया था। परन्तु उसे छुट्टी नहीं मिली।
अनुराग ने आरोप लगाया कि डेम ने उन्हें जान बूझकर छुट्टी नही दी।
उन्होंने जुलाई में ही दो बार छुट्टी के लिए प्राथना पत्र दिया।
लेकिन एक कर्मचारी की पीड़ा को कोई अधिकारी समझना ही नही चाहता है।
तकलीफ बढ़ने के बाद अनुराग अपनी पत्नी को रुद्रपुर के निजी अस्पताल में ले गया
जहां अत्यधिक रक्त श्राव के कारण दोनों बच्चे गर्भ में ही खत्म हो गए ।
जैसे ही खबर सहकर्मियों को मिली तो उन्होंने वी.सी.के आवास का घेराव कर दिया।
बाद में सहकर्मचारियों को समझा बुझाकर वापस भेज दिया गया।
सवाल यह उठता है कि क्या ये मौतें कोरोना महामारी में नहीं जोड़ी जाएँगी ?