देहरादून। प्रदेश सरकार ने कोविड 19 पर कैबिनेट की बैठक कर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं।
कैबिनेट की चर्चा में बताया गया कि 25380 से सैंपल लिए गए,जिनमें से 19702 निगेटिव आये है और 500 पॉजिटिव आये हैं।
कोविड-19 को लेकर उत्तराखंड कैबिनेट में गंभीरता से चर्चा की गई कि जोन का निर्धारण किस तरीके से किया जाना चाहिये, साथ ही इस बात पर भी गंभीरता से चर्चा की गई कि शाम तक उत्तराखंड किस जोन में हो सकता है और प्रदेश के कई जिले रेड जोन में जा सकते हैं।
सरकारी कर्मचारियों के नहीं कटेंगे वेतन भत्ते
मुख्य सचिव से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तक एकदिवसीय वेतन कोविड-19 फंड में जमा कराएंगे।
इस वित्तीय वर्ष के शेष महीनों में एक दिवसीय वेतन कोविड-19 फंड में लिया जाएगा।
सभी विधायकों का 30 फ़ीसदी भत्ते सरकार की ओर से काटने का निर्णय लिया गया।
जबकि सभी दायित्व धारियों का 5 दिन का वेतन प्रत्येक महीने मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराया जाएगा।
बैठक में मुख्यमंत्री एकीकृत बागवानी विकास योजना को भी हरी झंडी दे दी गई।
क्वॉरेंटाइन होने वाले सभी राज्य कर्मचारियों को देना होगा क्वॉरेंटाइन का पूरा ब्यौरा, उसके बाद ही 28 दिन का भुगतान दिया जाएगा।
खनिज नीति 2008 के खंड क में संशोधन करते हुए जीएमवीएन के सभी खनिज पट्टो की नीलामी का समय एक साल से बढ़ा कर 5 साल किया गया। टेंडर प्रक्रिया में कोई भी आवेदक के नहीं आने पर जीएमवीएन स्वयं पट्टों का संचालन करेगा।
कोविड-19 में इस्तेमाल होने वाले राजकीय मेडिकल कॉलेज के निदेशक को 1 करोड़ रुपए खर्च करने का दिया वित्तीय अधिकार भी दिया गया।
श्रम सुधार अधिनियम 1926 में आंशिक संशोधन करते हुए किसी भी उद्योग में यूनियन बनाने के लिए तीस फीसदी कर्मचारियों को ही अनुमति मिलेगी और एक ही यूनियन मान्य होगी ।
रजिस्ट्री की नकल लेने के लिए डिजिटलाइजेशन इस्तेमाल किया जाएगा और 2 रुपये प्रति पृष्ठ तथा अधिकतम 100 रुपए का भुगतान करना होगा।
स्वास्थ्य विभाग में नियुक्तियों के लिए 3 महीने का समय पहले निर्धारित किया गया था जिसको बढ़ाकर अब 1 साल किया गया।
मेगा इंडस्ट्रियल नीति 2015 में आंशिक संशोधन करते हुए 31 मार्च 2020 से 2020 जून तक बढ़ाया गया।
उत्तरकाशी में तेरह करोड़ 40 लाख की लागत से बनने वाले कोल्ड स्टोरेज की मंडी परिषद को अनुमति दी गई।
जिला योजना की बैठक नहीं होने पर राज्य सरकार लाई अध्यादेश
जिला अधिकारी प्रभारी मंत्रियों के अनुमोदन के बाद जिला योजना में होने वाले खर्च को कर सकेंगे।
पंचायत राज अधिनियम में किया आंशिक संशोधन अध्यादेश के जरिए सरकार ने लिया फैसला। जहां ग्राम प्रधान निर्वाचित नहीं हो पाए वहां 6 महीने के लिए प्रतिनिधि को नामित किया जाएगा।