जब हम लॉकडाउन में प्रकृति के फलने फूलने, और जीव जंतुओं के सड़क पर घूमने की खबरें पढ़ रहे हैं
तो हमें यह भी पढ़ना चाहिये कि केंद्र सरकार कितनी तेजी से पर्यावरण नियमों में फेरबदल करते हुए वन्य जीव आरक्षित क्षेत्रों पर कुठाराघात कर रही है |
पूर्व का सेल्वास कहे जाने वाले देहिंग पटकाई जिसे बायोस्फेयर रिजर्व बनाया जाना चाहिये
वहां के शोषण पर लिखते हैं विनीत
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देहिंग पटकाई रिजर्व : असम का वह जंगल जिसे अपनी सघनता के कारण पूर्व का अमेज़न कहा जाता है। क्या आपको हाल-फिलहाल के दिनों में इससे संबंधित कोई खबर हिन्दी पट्टी की मेनस्ट्रीम मीडिया पर देखने-सुनने को मिली?
शायद नहीं मिली होगी, क्योंकि इन खबरों में मसाला नहीं होता, और फिलहाल तो कोरोना संक्रमितों के आंकड़ों से टीवी स्क्रीन इतनी भर जाती है कि इन छोटी मोटी घटनाओं के लिए जगह ही नहीं बचती।
तो खबर ये है कि लॉकडाउन की आड़ में नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ (NBWL) ने इस अभ्यारण्य की 98.59 हेक्टेयर जमीन में कोयला खनन की अनुमति प्रदान की है। कोल इंडिया लिमिटेड की इकाई नार्थ ईस्टर्न कोल फील्ड को यह जमीन खनन हेतु दी गई है। गुपचुप तरीके से दी गई खनन की इस स्वीकृति का खुलासा एक आरटीआई से हुआ।
असम के पर्यावरणविद् रोहित चौधरी के आरटीआई आवेदन के जवाब में यह जानकारी सामने आई है कि NBWL ने इस अभ्यारण्य की 98.59 हेक्टेयर भूमि कोयला माइनिंग परियोजना के लिए सौंप दी है। जानकारी में यह भी सामने आया कि सौंपी गई वन भूमि में से 16 हेक्टेयर भूमि में तो पेड़ों का सफाया कर खनन भी किया गया है।
देहिंग पटकई रिजर्व लगभग 575 वर्ग किमी के क्षेत्र में असम के मुख्यतः तीन जिलों – डिब्रूगढ़, तिनसुकिया और सिवसागर में विस्तृत है।
इसमें हाथी संरक्षण क्षेत्र, वन्यजीव अभ्यारण्य, सलेकी रिजर्व वन भी शामिल हैं।
ये सदाबहार वर्षा वन हैं तथा यहां की वार्षिक वर्षा दर 250-450 सेमी तक है।
द. अमेरिका वाले अमेज़न के जंगलों की तरह ही यह वन भी जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों की कई प्रजातियों का प्राकृतिक घर है।
द हिन्दू में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार इसकी कहानी सिर्फ इतनी ही नहीं है।
NBWL ने 2019 में ही इस 98.59 हेक्टेयर जमीन में से 57.20 हेक्टेयर जमीन पर खनन की अनुमति कुछ शर्तों के साथ दे दी थी। फिर लॉकडाउन के दौरान जब पिछले माह NBWL की बैठक हुई तो यह लॉजिक दिया गया कि 57.20 हेक्टेयर जमीन पर तो पहले से ही खनन की अनुमति है, मात्र 41.39 हेक्टेयर फ्रेश जमीन पर ही खनन की अनुमति देनी है अतः अनुमति दे दी जानी चाहिए; और दी भी गई।
इस अनुमति के बाद पूरे असम में इसका विरोध होना शुरू हुआ।
चूंकि लॉकडाउन के चलते विरोध के लगभग आधे साधन उपलब्ध नहीं हैं तो सिर्फ इंटरनेट और सोशल मीडिया पर ही युवाओं ने कई कैंपेन चलाए।
असम के मशहूर गायक पापोन और अभिनेता आदिल हुसैन ने इस कैंपेन का समर्थन किया है।
Change.org पर एक पिटिशन भी लगाई गई है जिस पर हजारों लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं।
बहरहाल, विरोध के तीव्र स्वरों के बीच असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने राज्य के पर्यावरण मंत्री परिमल सुकलाबैद्य को देहिंग पटकई वन्यजीव अभ्यारण्य जाकर यहां का जायजा लेने को कहा है।
और साथ ही ये भी कहा कि सरकार पर्यावरण को बचाने और सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
… मुख्यमंत्री द्वारा सुनाए गए इस चुटकुले के बाद मेरा और कुछ भी लिखने का मन नहीं है।
तो #सबचंगासी मानकर चलिए!
#SaveDehingPatkai
-विनीत
photographs from internet