देहरादून । कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से भारत भी अब बुरी तरह प्रभावित है, और उत्तराखंड में भी कोरोना संक्रमितों की संख्या का आंकड़ा 1200 को पार कर चुका है।
परन्तु सरकार की गंभीरता का अंदाजा केवल इसी बात से लगाया जा सकता है कि केवल देहरादून के नगर निगम क्षेत्र को कोरोना मुक्त करने के लिए प्रत्येक सप्ताह में दो दिन का अवकाश रखा गया है | ताकि इन दो दिनों में देहरादून में कोरोना मुक्त करने की कार्यवाही की जा सके।
सरकार प्रदेश के अन्य जनपदों की अनदेखी कर रही है, जबकि नैनीताल, हरिद्वार, टिहरी समेत अन्य जनपदों में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
इसके बावजूद प्रदेश के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत का फोकस केवल राजधानी देहरादून पर ही है।
क्या केवल देहरादून नगरनिगम को सैनेटाइज़ करना पर्याप्त है ?
यदि केवल जनसंख्या घनत्व को ध्यान में रखा गया है तो राज्य के अन्य नगर निगम और नगरपालिकाओं का जनसंख्या घनत्व भी सघन है |
वहीं देहरादून के नगरनिगम से बाहर के क्षेत्रों में भी सघन जनसंख्या है |
An entry gate is sanatized without knowing if a corona infected person is inside
यह भी गौर करने लायक है कि अगर एक भी कोरोना संक्रमित इस सैनेटाइजेशन की प्रक्रिया के बाद शहर में घूमता है तो यह कवायद बेअसर हो जाएगी |
और उत्तराखंड में तो कैबिनेट मंत्री ही संक्रमित हो कर खुलेआम घूमते पाए गए हैं |
या यह कसरत केवल देहरादून नगरनिगम में इसलिये की गई है कि अधिकांश माननीय मंत्रियों का आवास फिलहाल यहीं पर है ?
सैनेटाइजेशन या टेस्टिंग
यद्यपि दोनों प्रक्रियाएं एक दूसरे की पूरक हैं, लेकिन यदि एक भी व्यक्ति कोरोना संक्रमित हो तो सैनेटाइजेशन की कवायद बेमानी है |
हम हाल में ही देख चुके हैं कि केवल सतपाल महाराज के संक्रमित होने से मुख्यमंत्री समेत कई मंत्रियों और अधिकारियों को क्वारंटीन होना पड़ गया था, जबकि ये समाज का सबसे सुरक्षित वर्ग है |
इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक भी संक्रमित व्यक्ति समाज के लिये कैसा कहर बन सकता है |
जहां सरकार को तेज गति से टेस्टिंग का काम बढ़ाना चाहिये, वहां इस तरह केवल राजधानी के मुख्य भाग को सैनेटाइज़ करना, शेष राज्य को उसके हाल पर छोड़ देने जैसा है |
Dehradun sanitization
कब होगा चौबट्टा खाल सैनेटाइज़
सतपाल महाराज के सपरिवार दौरे के कारण पूरा चौबट्टा खाल संक्रमित होने की आशंका से ग्रस्त है, और वहां सैनेटाइजेशन और टेस्टिंग युद्ध स्तर पर करने की आवश्यकता है | परन्तु यह क्षेत्र अभी सरकार की प्राथमिकता पर नहीं है |
नगर निगम ने जानकारी साझा करते हुए बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव एवं समुदाय स्तर पर फैलने से रोकने के लिए संक्रमण रोधी दवा का सार्वजनिक स्थलों, वार्ड के मोहल्लों, सड़क, गली, व्यवसायिक प्रतिष्ठान व आवासीय क्षेत्रों में छिड़काव किया गया ।
100 वार्डों में से 50 वार्डों में सैनिटाईजेशन का कार्य किया गया, जिसमें 56 ट्रैक्टर/टैंकर एवं 04 अग्निशमन विभाग के वाहनों के माध्यम से शहर के मुख्यमार्गों एवं वार्डों में लगभग- 3.10 लाख लीटर सैनिटाईजर साॅल्यूशन का छिड़काव किया गया।
लेकिन सवाल वहीं का वहीं है कि अगर इन क्षेत्रों में कोरोना संक्रमित मौजूद हैं तो लगभग 3 लाख लीटर सैनेटाइज़र पर खर्च किया गया जनता का धन तो व्यर्थ चला जाएगा |
क्या यह खर्च पहले रैंडम टेस्टिंग पर नहीं किया जा सकता था ?
और जब पूर्ण लॉकडाउन था तब यह कार्य क्यों नहीं किया गया ?
इन सब बातों को मद्देनज़र रखते हुए यह महसूस होता है कि बाकी प्रदेश की जनता को श्री बद्री – केदार के भरोसे छोड़ कर प्रदेश सरकार केवल ” नौ दिन चले अढ़ाई कोस ” के स्तर पर कार्य कर रही है |
– Abhishek Kumar