पिछले कुछ महीनों में रुड़की से नकली दवाओं के दो बड़े कारखाने पकड़े गए हैं |
मार्च 2020 – रुड़की के चुड़ियाला क्षेत्र में दिल्ली विजिलेंस और स्थानीय औषधि विभाग ने नकली दवा की एक फैक्ट्री का भांडा फोड़ा था |
फैक्ट्री भाजपा नेता के भाई की थी |
यहां से पचास पेटी नकली दवाएं और कई बड़े ब्रांड वाली दवा कंपनियों के रैपर बरामद किये गए थे |
साथ ही चार मशीनों को भी सील किया गया था |
अधिकतर दवाएं विटामिन और कैल्शियम टैबलेट्स थीं |
भाजपा नेता के भाई ने गांव में ही कारखाना लगा रखा था |
कल 28 जून 2020 को एक और मामला तब सामने आया जब सलेमपुर में एक और फैक्ट्री का पर्दाफाश हुआ |
दिल्ली ड्रग विजिलेंस और देहरादून ड्रग विजिलेंस ने पुलिस के साथ मिल कर वाई डी आर फार्मलेशन कंपनी पर छापा मारा |
यहां से एसीलॉक की 7 लाख नकली टैबलेट्स, फॉयल कवर, रैपर, छपाई मशीन कंप्रेशर इत्यादि बरामद हुआ |
टीम ने जब दस्तावेज़ों की जांच की तो पता चला कि खाद्य पदार्थ लायसेंस की अाड़ में नकली दवाओं की पैकिंग का काम चल रहा है |
नकली दवाएं बाहर से मंगवा कर पैकिंग यहां की जाती है |
फैक्ट्री को सील कर दिया गया है |
नकली दवाओं का एक बड़ा रैकेट पश्चिमी उत्तरप्रदेश में सक्रिय है | और ये दवाएं विभिन्न प्रदेशों में भेजी जाती हैं |
अब मामले की छानबीन की जा रही है |
यह छापा तब पड़ा, जब एक बड़ी कंपनी ने अपनी पेट में गैस बनने की दवाई की नक्काली की जानकारी ड्रग विभाग को दी |
कंपनी के अधिकारियों ने पहले अपने स्तर पर इसकी जांच की थी |
सवाल यह उठता है कि क्या ड्रग विजिलेंस विभाग कंपनियों की शिकायत पर निर्भर है ?
क्या लगातार औचक निरीक्षणों की आवश्यकता नहीं है ?
क्या जनता के स्वास्थ्य से ऐसा खिलवाड़ जारी रहेगा ?
या सरकार अब ठोस कदम उठाएगी ?
गौरतलब है कि नकली शराब निर्माण के खिलाफ भी तभी बड़ी कार्यवाई सुनने को मिलती है | जब कोई बड़ा हादसा हो चुका होता है |
गैस की दवाओं, कफ सिरप, विटामिन, कैल्शियम, प्रोटीन पाउडर इत्यादि में नक्काली का जनता के स्वास्थ्य पर बहुत धीरे असर होता है | और यही कारण है कि व्यवस्था के कान पर जूं भी देर से रेंगती है |