फ्रांस में एक शिक्षक द्वारा पैगंबर मोहम्मद के कार्टून को प्रदर्शित करने के बाद फैला विवाद
पूरे विश्व में विरोध प्रदर्शनों और बायकाट का कारण बना हुआ है।
इसी बीच फ्रांस के एक प्रसिद्ध आर्चबिशप ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद का कार्टून न केवल मुसलमानों बल्कि ईसाइयों का भी अपमान है।
उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी की भी सीमा होती है और इस तरह के कार्टून आगे नहीं फैलाने चाहिए।
क्योंकि इसका परिणाम हम सब जानते हैं।
उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी का यह अर्थ नहीं है कि किसी भी धर्म का अपमान किया जाए।
टुकुज़ रॉबर्ट ले गेल के आर्चबिशप ने इस तरह से मुसलमानों और ईसाइयों के बीच बढ़ती खाई को पाटने का प्रयास किया है।
जबकि शार्ली हेब्डो जैसी पत्रिका ईसाई धर्म की मान्यताओं पर भी कुठाराघात करती रही है।
अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर धार्मिक भावनाओं और जन भावनाओं से खिलवाड़ न्यायोचित नहीं माना जा सकता है।
भारत के संविधान में भी अभिव्यक्ति की आजादी युक्तियुक्त निर्बंधन के दायरे में आती है।