ग्रीष्म कालीन राजधानी गैरसैण को राजयपाल की मंजूरी
देहरादून। 20 साल से उत्तराखंड राज्य स्थाई राजधानी के लिए संघर्ष कर रहा है। बीस साल इंतजार के
बाद स्थाई राजधानी तो उत्तराखंड नहीं मिली, लेकिन राजपाल की मंजूरी के बाद गैरसैंण ग्रीष्म कालीन
राजधानी बन गई है। राज्य सरकार ने पहले सदन में गैरसैंण को ग्रीष्म कालीन राजधानी बनाने का प्रस्ताव
पारित कर मंजूरी के लिए राजपाल के पास भेजा था।
गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के प्रमुख रणनीतिकार एवम् अध्यक्ष नीति प्रभाग मनोज ध्यानी सभा को संबोधित करते हुए। फाइल फोटो
वहीं देहरादून अस्थाई राजधानी बनी हुई है। गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने के लिए संघर्ष कर रहे
गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के प्रमुख रणनीतिकार एवम् अध्यक्ष नीति प्रभाग मनोज ध्यानी ने कहा
कि हमें स्थाई राजधानी से कम पर कुछ मंजूर नहीं है। उन्होंने “इवेंट” से खास बातचीत में कहा कि अभी
हमने आधी लड़ाई जीती है और अभी आधी बाकी है। ध्यानी ने कहा कि जब तक गैरसैंण को स्थाई
राजधानी का दर्जा नहीं मिल जाता हमारा संघर्ष जारी रहेगा। उनका मानना है कि पहाड़ की राजधानी
पहाड़ में ही होनी चाहिए। कोरोना महामारी के कारण हुए लॉक डाउन के कारण हमें अपना अभियान
स्थगित करना पड़ा, लेकिन हमने धरना स्थल की मिट्टी को पूजा स्थल पर कर अभियान को जिंदा रखा है
और इस दौरान प्रवासी उत्तराखंडियों को भी साथ जोड़ने का कार्य भी किया जा रहा है।
राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त वरिष्ठ भाजपा नेता वीरेंद्र सिंह बिष्ट
वहीं राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त वरिष्ठ भाजपा नेता वीरेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि मुख्यमंत्य्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा
यह ऐतिहासिक निर्णय लिया गया था, जिसे आज राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि गैरसैंण को
ग्रीष्म कालीन राजधानी का दर्जा देना उत्तराखंड के शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि है और आज का यह दिन
इतिहास के पन्नों पर स्वर्णिम अक्षरों से लिखा जायेगा।