देहरादून। द हंस फाउंडेशन देश भर में मानवतावादी सोच और जज्बे के साथ अपने मिशन में जुटा है।
वर्तमान समय में द हंस फाउंडेशन की पहचान शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और अन्य क्षेत्रों के साथ-साथ दिव्यांगों के कल्याण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए बन चुकी है।
इतना ही नहीं द हंस फाउंडेशन ने संपूर्ण देश में लाखों लोगों के जीवन स्तर में बदलाव लाने के लिए उल्लेखनीय योगदान दिया।
पिछले दस वर्षों में द हंस फाउंडेशन ने देश के 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 300 से अधिक एनजीओ को सहायता प्रदान कर 7 मिलियन से अधिक गरीबों को लाभान्वित किया।
द हंस फाउंडेशन अन्य राज्यों की भांति उत्तराखंड में भी मानवतावादी कार्यों में सलग्न है।
द हंस फाउंडेशन ने प्रदेश में विकास कार्यक्रमों को गति देने के लिए राज्य सरकार के साथ गठबंधन किया है।
इस गठबंधन के माध्यम से द हंस फाउंडेशन सरकार के साथ स्वास्थ्य, आजीविका, शिक्षा, दिव्यांगों के कल्याण, पेयजल एवं स्वच्छता, विद्युतीकरण और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में विकास कार्यों को बढ़ावा दे रही है।
उत्तराखंड में द हंस फाउंडेशन ने स्वास्थ्य के क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया है।
द हंस फाउंडेशन ने लोगों के बीच स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने तथा फाॅलो-अप देखभाल को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ रोगों की रोकथाम एवं विभिन्न प्रकार की चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए उत्तराखंड सरकार के सहयोग से 21 मोबाइल मेडिकल यूनिट (एमएमयू) का गठन किया है।
ये सभी मोबाइल मेडिकल यूनिट उत्तराखंड के बेहद दुर्गम इलाकों में जाकर हर साल लगभग 2.5 लाख लोगों को मुफ्त में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करते हैं।
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देते हुए, द हंस फाउंडेशन महिलाओं के वृहद स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार कर रहा है।
बच्चों के टीकाकरण, एनीमिया, सर्वाइकल कैंसर, मासिक धर्म स्वच्छता, तथा किशोरियों के स्वास्थ्य और स्वच्छता जैसे विषयों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
द हंस फाउंडेशन द्वारा समर्थित अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन की मातृ एवं नवजात जीवन रक्षा पहल के तहत संचालित कार्यक्रमों से 62,000 से अधिक गर्भवती और 60,000 से ज्यादा स्तनपान कराने वाली महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं।
राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में द हंस फाउंडेशन ने बड़े पैमाने पर कार्यक्रम आयोजित किये।
इतना ही नहीं फाउंडेशन ने प्रदेश में निरक्षरता और जल्दी पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों की समस्या को दूर करने के लिए व्यापक आधार पर एक रणनीति को लागू किया है।
सरकारी स्कूलों और आंगनवाड़ियों में 3,00,000 बच्चों को मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराने के लिए उत्तराखंड में नौ केंद्रीयकृत रसोई की स्थापना के लिए फरवरी 2018 में उत्तराखंड सरकार, द हंस फाउंडेशन और अक्षय पात्र फाउंडेशन के बीच एक त्रिपक्षीय एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।
पहाड़ी जिले पौड़ी गढ़वाल में शिक्षा एवं कौशल विकास की गुणवत्ता में सुधार लाने के साथ-साथ प्रवासन पर अंकुश लगाने के लिए, राज्य सरकार द हंस फाउंडेशन की मदद से एक माॅडल स्कूल तथा कौशल विकास केंद्र शुरू करने की योजना बना रही है।
द हंस फाउंडेशन का प्रदेश में स्वरोजगार पर व्यापक फोकस है।
इसीलिए द हंस फाउंडेशन व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के साथ-साथ कृषि की उत्कृष्ट प्रणालियों, पारंपरिक कलाओं, पशुपालन, छोटे उद्यमों की स्थापना आदि को प्रोत्साहन एवं सहायता प्रदान कर रहा है।
द हंस फाउंडेशन महिलाओं के लिए कृषि क्षेत्र तथा कृषि क्षेत्र से परे स्थायी आजीविका से जुड़ी पहलों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जिसे व्यापक ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एकीकृत किया जाएगा।
फाउंडेशन जलवायु के अनुकूल कृषि प्रणालियों को अमल में लाने के उद्देश्य से हिमालयन रिसर्च सेंटर के सहयोग से कृषि उत्पादों को बढ़ावा दे रहा है तथा इन्हें पुनर्जीवित कर रहा है।
फाउंडेशन की अन्य प्रमुख पहलों में, सौर ऊर्जा के माध्यम से दूर-दराज के 952 बस्तियों में 3000 से अधिक घरों का विद्युतीकरण, हंस जलधारा कार्यक्रम के तहत राज्य के दुर्गम इलाकों के 100 गांवों में पेयजल योजनाओं का संचालन शामिल है
जिसमें हर घर में नल की सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है।
पिछले 10 वर्षों में हंस फाउंडेशन ने भारत में लाखों लोगों के जीवन में बदलाव लाया है । हर गुजरते दिन के साथ देश के हजारों सुविधाहीन एवं अगम्य इलाकों को अपनी योजनाओं के दायरे में शामिल कर रहा है।