देहरादून। जागरूकता की कमी और बदलती लाइफस्टाइल के कारण ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। महिलाओ में ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूकता लाने के लिए अक्टूबर माह को पूरी दुनिया में ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है।
स्तन कैंसर का नाम सुनते ही कैंसर पीड़ित और उनके परिवार वाले मरीज के जीने की उम्मीद छोड़ देते है, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो ये धारणा सही नहीं है। भारत में हर साल स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं की संख्या में प्रति एक लाख में से तीस की औसत से इजाफा हो रहा है।
स्त्री एवं प्रसुति रोग विशेषज्ञ डाॅ सुजाता संजय के मुताबिक, स्तन में गांठ, सुजन या फिर किसी भी तरह का बदलाव महसूस हो तो डाॅक्टर से संपर्क करें डाॅ सुजाता कहते है, स्तन कैंसर से डरे क्योंकि इसका निदान संभव है अगर स्तन कैंसर पहले स्टेज में ही है, तो इसे जड़ से खत्म करना बहुत आसान है। मशहूर टाटा मेमोरियल हाॅस्पिटल के आंकड़ो के मुताबिक हर साल 4 हजार कैंसर के नए रोगी अस्पताल आते है।
यहां यह समझना बेहद जरूरी है कि अलग अलग महिलाओं में स्तन कैंसर के अलग अलग लक्षण पाए जाते है। स्तन कैंसर को समझना आसान है, स्त्रियां खुद भी स्तन की जांच कर सकती है। स्तन में गांठ, स्तन के निप्पल के आकार या स्किन में बदलाव, स्तन का सख्त होना, स्तन के निप्पल से रक्त या तरल पदार्थ का आना, स्तन में दर्द, बाहों के नीचे (अंडर आम्र्स )भी गांठ होना स्तन कैंसर के संकेत है। हालांकि स्तन में हर गांठ कैंसर नहीं होती, लेकिन इसकी जांच करवाना बेहद जरूरी है, ताकि कहीं वो आगे चलकर कैंसर का रूप ना पकड़ ले।
डाॅ सुजाता संजय के मुताबिक, शराब, ध्रुमपान, तंबाकू के साथ साथ बढ़ता वजन, ज्यादा उम्र में गर्भवती होना और बच्चों को स्तनपान ना करवाना स्तन कैंसर के प्रमुख कारण है। इसलिए जरूरी है कि महिलांए अपने वजन को नियंत्रित रखें, गर्भधारण का समय निश्चिित करें और कम से कम 6 महीने तक बच्चों को स्तनपान जरूर कराएं ऐसा करने से स्तन कैंसर का खतरा कम हो जाता है। स्तन कैंसर का कारण आनुवंशिक भी हो सककता है, लेकिन ऐसा सिर्फ 5-10 प्रतिशत महिलाओं में ही पाया जाता हैं। डाॅ सुजाता संजय कहती है बदलते दौर में अपने लाइफस्टाइल को जरूरत से ज्यादा बदलना भी स्तन कैंसर का कारण बन सकता है। इनकी सलाह है कि ज्यादा कोलेस्ट्राॅल वाले भोजन से दूर रहें और गर्भनिरोधक दवाइयों का सेवन ना करें इसके अलावा 40 की उम्र के बाद साल में एक बार मेमोग्राफी जरूर करवाएं।
डाॅ सुजाता का मानना है कि स्तन कैंसर के लक्षण सामने आते ही महिलाएं डर और शर्मिदगी से इसका जिक्र नहीं करती लेकिन लक्षण का पता चलते ही डाॅक्टर से तुरंत संपर्क करना जरूरी है।
डाॅ सुजाता के मुताबिक स्तन कैसर को लेकर जानकारी का अभाव भी इसके फैलने में अहम रोल निभा रहा है। डाॅ सुजाता बताते है बाॅयोप्सी टेस्ट से जानकारी मिल जाती है कि स्तन कैंसर है या नही अगर स्तन में गांठ है तो उसका आकार कितना बड़ा है और यह किस तरह का स्तन कैंसर है ये जानने के बाद इलाज की प्रक्रिया आसान हो जाती है।
डाॅ सुजाता बताते हैं कि स्तन कैंसर की 4 अवस्था होती है ,स्तन कैंसर अगर पहले स्टेज में है तो मरीज के ठीक होने की उम्मीद 80 प्रतिशत से ज्यादा होती है। दूसरे स्टेज में अगर स्तन कैंसर है 60 – 70 प्रतिशत तक महिलाएं ठीक हो जाती है, वहीं तीसरे या चौथे स्टेज में स्तन कैंसर है तो इलाज थोड़ा कठिन हो जाता है। हाल ही स्तन कैंसर पर हुई स्टडी में यह बात सामने आई की विटामिन डी की कमी के साथ ही अगर मोटापा भी है तो ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है। शोध में यह बात सामाने आई कम बीएमआई के साथ शरीर में मौजूद विटामिन डी का अच्छा स्तर स्तन कैंसर से बचाव का काम करता है।