देहरादून। विकासनगर स्थित जान संघर्ष मोर्चा कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि सरकारी विभागों की बदइंतजामी तथा अदूरदर्शिता का इससे बड़ा हास्यास्पद तथा खतरनाक पहलू क्या होगा कि प्रदेश में वनों को बचाने के लिए तैनात वन बीट अधिकारी व वन दरोगा के पास सुरक्षा के नाम पर हथियार मुहैया कराना तो दूर लाठी तक की व्यवस्था नहीं की गई है। नेगी ने कहा कि 5 से 10 हजार हेक्टेयर तक के जंगल को वन तस्करों, खनन माफियाओं व जंगली जानवरों से बचाने का जिम्मा एक वन बीट अधिकारी के कंधे पर है, जोकि दिन-रात जंगलों में गस्त करके वनों की कई प्रकार से रक्षा करते हैं तथा रात्रि के समय घनघोर जंगलों में भी गस्त करते हैं। नेगी ने हैरानी जताते हुए कहा कि कई बार वन कर्मचारी व आमजन इन जंगली जानवरों का शिकार होते हैं, लेकिन पुख्ता सुरक्षा इंतजामों की कमी के चलते इनको अपनी जान से हाथ धोना पड़ा पड़ता है। इसके साथ- साथ वन रक्षकों को सांप, लंगूर, बंदर,व उत्पाती जानवरों को पकड़ने का भी जिम्मा है, लेकिन इंतजाम के नाम पर कुछ भी नहीं है। मोर्चा शीघ्र ही वन रक्षकों की सुरक्षा के लिए पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था व इनको जोखिम भत्ता आदि की मांग को लेकर शासन में दस्तक देगा। पत्रकार वार्ता दौरान दिलबाग सिंह, प्रदीप कुमार व सुशील भारद्वाज आदि मौजूद थे।
विकासनगर में पत्रकारों से वार्ता करते जान संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी।