देहरादून। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने उत्तराखंडियों को जंगलों पर उनके पुश्तैनी हक़-हकूक़ और वनाधिकार वापस मिलने के लिए भगवान बदरी विशाल से प्रार्थना की।
वनाधिकार आंदोलन के 11 प्रमुख बिंदुओं के लिए बद्री विशाल से प्रार्थना की। जिनमें पहला बिंदु है कि उत्तराखण्ड को वनवासी प्रदेश घोषित कर उत्तराखंडियों को केंद्र सरकार की नौकरियों में आरक्षण दिया जाए। जब दिल्ली की सरकार उत्तराखण्ड का पानी दिल्ली की जनता को फ्री दे सकती है तो उत्तराखण्ड सरकार को भी जनता को निशुल्क पानी दिया जाना चाहिए। हमारे सारे ईंधन के कार्य जंगल से ही पूरे होते थे, इसलिए एक गैस सिलेंडर हर महीने निशुल्क मिलना हमारा हक़ है। अपना घर बनाने के लिए हमे निशुल्क पत्थर बजरी लकड़ी आदि मिलना चाहिए तथा दिल्ली की तरह दो सौ यूनिट बिजली भी निशुल्क मिले।युवाओं के रोजगार के लिए उत्तराखण्ड में उगने वाली जड़ी-बूटियों के दोहन का अधिकार स्थानीय समुदाय को दिया जाए। यदि कोई जंगली जानवर किसी व्यक्ति को विकलांग कर देता है या मार देता है तो सरकार को 25 लाख रूपये का मुआवजा व पक्की सरकारी नौकरी देनी चाहिए।जंगली जानवरों द्वारा फसलों के नुकसान पर सरकार द्वारा तुरंत प्रभाव से 1500 रूपये प्रति नाली के हिसाब से क्षतिपूर्ति दी जाए। वन अधिकार अधिनियम-2006 को उत्तराखण्ड में लागू किया जाए और उत्तराखण्ड को प्रति वर्ष दस हजार करोड़ ग्रीन बोनस दिया जाए। परम्परागत बीजों/लोक देवताओं/लोक शिल्प/लोक संस्कृति/फ़सलों/पशुओं/वन्य प्राणियों/वनस्पतियों को बचायेंगे। नशा मुक्त उत्तराखंड बनायेंगे। तिलाड़ी काण्ड के शहीदों के सम्मान में 30 मई को वन अधिकार दिवस घोषित किया जाए।