जानें कौन है सीमा पाहुजा, जो कर रही है कोलकाता रेप-मर्डर केस की जांच
नई दिल्ली। कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या मामले में एक बड़ा अपडेट सामने आया है। इस संवेदनशील मामले की जांच कर रही सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) की टीम में एजेंसी की महिला अधिकारी सीमा पाहुजा को शामिल किया गया है। सीमा पाहुजा वही अधिकारी हैं, जिन्होंने 2020 के हाथरस सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले की जांच में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
कौन हैं सीमा पाहुजा?
सीमा पाहुजा, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में अतिरिक्त अधीक्षक के पद पर कार्यरत हैं और विशेष अपराध इकाई से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने 2020 में उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में हुए चर्चित सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले की जांच में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस मामले में 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ चार ऊंची जाति के लोगों ने कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया था, जिसके बाद लड़की ने दिल्ली के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया था। सीमा पाहुजा की कड़ी और निष्पक्ष जांच की शैली उन्हें इस तरह के संवेदनशील मामलों के लिए उपयुक्त बनाती है।
बलात्कार और हत्या किसी अकेले का काम नहीं?
सीबीआई ने कोलकाता के इस मामले में अब तक गिरफ्तार किए गए एकमात्र व्यक्ति, संजय रॉय का नार्को परीक्षण कराने के लिए कोलकाता की एक निचली अदालत से अनुमति मांगी है। सूत्रों के अनुसार, रॉय के बयानों में कई विसंगतियां पाई गई हैं, जिससे नार्को परीक्षण की जरूरत महसूस हुई है। रॉय एक सिविक वालंटियर था, जो अस्पताल की पुलिस चौकी पर तैनात था, और उसे सीसीटीवी फुटेज के आधार पर गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, स्थानीय मीडिया में यह चर्चा है कि बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराध किसी अकेले व्यक्ति का काम नहीं हो सकते।
कोलकाता मामले में सीसीटीवी खंगाल रही है सीबीआई
पिछले सप्ताह कोलकाता हाई कोर्ट ने मामले की जांच केंद्रीय एजेंसी से कराने का आदेश दिया था, जिसके बाद कोलकाता पुलिस ने संजय रॉय को सीबीआई के हवाले कर दिया था। सीबीआई की टीम ने सोमवार शाम को कोलकाता पुलिस मुख्यालय पहुंचकर उन जगहों के सीसीटीवी फुटेज मांगे, जहां रॉय को अपराध से पहले और बाद में देखा गया था।
सीबीआई के अधिकारी पीड़ित लड़की के घर भी गए और उसके परिवार के सदस्यों से बातचीत की। यह मामला सीमा पाहुजा और उनकी टीम के लिए एक और चुनौती है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि पीड़िता को न्याय मिले और दोषियों को सजा।