मोदी ने उठाया बड़ा मुद्दा : राष्ट्र के नाम सन्देश /Poverty
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल राष्ट्र के नाम सन्देश दिया।
यह सन्देश अनलॉक 2. 0 से सम्बंधित था।
एक दिन पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे की मोदी क्या बोलेंगे।
देश के सामने कई गंभीर समस्याएं अभी मुंह बाए खड़ी हैं।
- कोरोना संक्रमण तेज़ी से फ़ैल रहा है।
- लॉक डाउन के कारण निम्न और माध्यम वर्ग की आर्थिकी पटरी से उतर गयी है।
- पेट्रोल और डीज़ल के दाम आसमान छू रहे हैं।
- मंहगाई तेज़ी से बढ़ रही है।
- चीन के साथ सीमा पर तनाव की स्थिति है।
जनता कयास लगा रही थी कि प्रधानमंत्री इन मुद्दों पर देश को सम्बोधित कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने उठाया सबसे बड़ा मुद्दा
लेकिन प्रधानमंत्री ने सबसे बड़ा मुद्दा उठा दिया। और वो मुद्दा है गरीबी।
भारत के इतिहास में पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने गरीबों की संख्या का ज़िक्र किया है।
अपने भाषण में उन्होंने कहा कि सरकार ने 80 करोड़ गरीबों के भोजन की व्यवस्था की है ( देखें वीडियो )।
गरीबों की संख्या का ये आंकड़ा चौंका देने वाला है।
क्योंकि 130 करोड़ की कुल जनसँख्या में 80 करोड़ गरीब 60 % से अधिक गरीबी प्रदर्शित करते हैं।
1993 -94 के आंकड़ों के अनुसार भारत में 45 . 3 % गरीबी थी। जो 2004 -05 में घट कर 37 . 2 % हो गयी। 2009 -10 में गरीबी 29 . 8 % थी। जो 2011 – 12 में घट कर 21 . 9 % रह गयी।
ये सब सरकार द्वारा जारी किये गए आंकड़े हैं।
कल के भाषण में प्रधानमंत्री ने 80 करोड़ गरीब भाइयों और बहनों बोल कर इन आंकड़ों पर सवाल खड़े कर दिए।
गरीबी के आंकड़ों पर उठे सवाल
- क्या पहले दिए गए आंकड़े गलत हैं ?
- क्या भारत में 1993 से 2012 तक गरीबी कम नहीं हुई ?
- या यदि ये आंकड़े सही हैं तो 2014 से 2020 तक मोदी सरकार के कार्य काल में गरीबों की संख्या में वृद्धि हुई है ?
देश के सामने ये अब एक बड़ा मुद्दा हो गया है।
वहीँ दूसरी तरफ प्रधानमंत्री के द्वारा छठ पूजा तक मुफ्त राशन वितरण को लोग आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से जोड़ कर देख रहे हैं।