पाकिस्तान के बाद अब संभवतः नेपाल भी चीन की कठपुतली की तरह काम कर रहा है |
इसका जीता जागता उदारहण उत्तराखंड के कुछ हिस्सों पर नेपाल का दावा है |
नेपाल ने सभी हदें तोड़ते हुए उठाया यह कदम
नेपाल ने नक्शा बदल कर लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपने नये नक्शे में जोड़ लिया है।
यह तो गंभीर मसला है
मगर उस से बड़ी बात यह हुई कि नेपाल ने अपने नेशनल इम्बेलम (National Emblem) में उस नक्शे का बदलाव कर दिया है।

original emblem of Nepal

Emblem of Neapl with changed Map
अर्थात अब जो सरकारी पत्र भारत सरकार को नेपाल द्वारा भेजे जाएंगे
वह इस इम्बेलम की मुहर के साथ आएंगे
इस नक्शे को तो हम भारत के लोग तो स्वीकार नहीं करेंगे परन्तु केन्द्र सरकार अब नेपाल के सरकारी पत्र को स्वीकार करेगी या नहीं यह बड़ा सवाल है?
यह नेपाल का “राज्य चिह्न” (Emblem) है, जिस तरह से हमारे देश का इम्बेलम “अशोक चिह्न” है।
तो क्या भारत सरकार इसपर कठोर कदम उठाएगी ?
क्या भारत नेपाल से पत्राचार समाप्त करेगा ?
क्या नेपाल के दूतावास को बंद किया जाएगा ?
या हमारी देशभक्ति केवल पाकिस्तान से घृणा तक सीमित है ?