देहरादून। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि बिना संस्कृति के राष्ट्र की कल्पना नहीं की जा सकती और कलाकार हमारी संस्कृति का हिस्सा है। इन्हीं कलाकारों तथा संस्कृति कर्मियों से भारत की पहचान होती है।
रविवार को रीच संस्था द्वारा ओ.एन.जी.सी स्थित अम्बेडकर ऑडिटोरियम में आयोजित 23वें विरासत कार्यक्रम का दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि रीच संस्था द्वारा आयोजित किये जाने वाला विरासत कार्यक्रम अपनी संस्कृति को सजोने का सराहनीय पहल है। उन्होंने कहा कि देश के शास्त्रीय एवं लोक संगीत की तमाम विधाओं को एक स्थान पर लाने का प्रयास भी सराहनीय है। उन्होंने इस कार्यक्रम को प्रति वर्ष आयोजित किये जाने के लिए राज्य सरकार द्वारा यथा संभव सहयोग दिये जाने का भी आश्वासन दिया।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने इस अवसर पर पदमश्री पूरन चंद बड़ाली सहित अन्य कलाकारों को सम्मानित भी किया। इस अवसर पर रीच संस्था के अध्यक्ष आर.के.सिंह सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित थे।
वहीं विरासत में सुबह घनश्याम राय के नेतृत्व में ‘द कोलोनियल एंड अफ़ग़ान लिंक्स हेरिटेज वॉक’ हुई। वॉक गांधी पार्क से क्लॉक टॉवर पर समाप्त हुई। सभी प्रतिभागियों को एश्ले हॉल, सर्वे चौक, रेंजर्स कॉलेज और क्लॉक टॉवर जैसी जगहों पर ले जाया गया और इन स्थानों के इतिहास के बारे में अवगत कराया गया। इस वॉक पर 100 से अधिक लोग शामिल हुए।
उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावतऔर पद्मश्री अनिल प्रकाश जोशी पर्यावरणवादी विरासत में शिरकत की। इस दौरान उन्होंने दुकानदारों और विरासत के अधिकारियों से बातचीत की। उन्होंने देहरादून के नागरिकों के लिए इस तरह के एक अद्भुत कार्यक्रम के आयोजन में रीच संस्थान के प्रयासों की सराहना की।
क्लासिक कार और बाइक रैली की शुरुवात अम्बेडकर स्टेडियम में हुई। लगभग 100 से ज्याद विंटेज वाहनों ने इस रैली में भाग लिया। सभी चालक, सवार एवं सभी आयोजक काफी उत्साहित दिखे। सबसे पुरानी कार और बाइक में से एक 1930 ऑस्टिन और 1938 हार्ले थी जिसके मालिक थे डॉ एस फारूक और भूपेंद्र एस महल।अधिकतम कार और बाइक की भागीदारी के विजेता डॉ फारूक और रविन्द्र सिंह रहे।कुणाल अरोड़ा और विजय अग्रवाल विजेता रहे वालंटियर्स चॉइस के, सगीर अहमद और नूर मोहम्मद विजेता रहे पॉपुलर चोइसेस, पारस विजेता रहे स्पॉन्सर चॉइस के।