बीते दिनों उत्तराखंड सरकार ने चारों धाम पूरे देश के श्रद्धालुओं के लिए खोल दिये ।
त्रिवेंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध शुरू हो गया है ।
दरअसल पर्वतीय क्षेत्रों की जनता कोरोना संक्रमण को ले कर चिंतित है ।
अभी तक पहाड़ी क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण बहुत बड़े पैमाने पर नहीं फैला है ।
जो भी संक्रमित मरीज सामने आए हैं वो सब बाहर से लौटे हैं । रुद्रप्रयाग जिले में कुल 12 सक्रिय मामले हैं ।
लेकिन जनता को यह डर है कि कहीं बाहरी लोगों के आने से संक्रमण न फैल जाए ।
स्थानीय लोगों में देवस्थानम बोर्ड को ले कर पहले से नाराजगी थी ।
इस फैसले ने आग में घी का काम कर दिया है ।
लगातार बढ़ रहे कोरोना मरीजों की संख्या को देखते हुये केदार घाटी की जनता व जनप्रतिनिधियों ने
बाहरी प्रदेशों से केदारनाथ यात्रा पर आने वाले यात्रियों पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है ।
पंच केदारघाटी जन सेवा व सांस्कृतिक मंच के बैनर तले केदारघाटी की जनता और जनप्रतिनिधि
सरकार द्वारा बाहरी राज्यों से यात्रियों को केदारनाथ यात्रा की अनुमति देने के फैसले के खिलाफ सड़कों पर उतर आये ।
क्षेत्रीय जनता ने विरोध स्वरूप कुण्ड में राष्ट्रीय राजमार्ग पर सांकेतिक जाम लगा दिया ।
जनप्रतिनिधियों का कहना था कि पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है
वहीं अभी पर्वतीय क्षेत्रों में इस महामारी का प्रकोप कम है । रुद्रप्रयाग में कोरोना मरीजों की संख्या न के बराबर है
जो भी केस आये हैं सभी बाहर से जनपद में आये लोगों के हैं ।
ऐसे में सरकार द्वारा चारधामों की यात्रा के लिये बाहरी प्रदेशों के लोगों को अनुमति देना सरासर गलत है ।
जनप्रतिनिधियों ने आशंका जताई कि सरकार का यह निर्णय कहीं इस क्षेत्र में भी महामारी को न फैला दे।
बाद में प्रशासन की ओर से उप जिलाधिकारी ऊखीमठ वरुण अग्रवाल व थाना ऊखीमठ पुलिस मौके पर पहुंची
व आंदोलनरत जनता को समझाने का प्रयास किया ।
बाद में आंदोलनकारियों के द्वारा शासन प्रशासन को तीन दिन में निर्णय लेने का अल्टीमेटम देकर जाम को खत्म कर दिया गया।
विरोध प्रदर्शन करने वालों में केदारघाटी जन सेवा एंव सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष धर्मेश नौटियाल,प्रधान संगठन के ब्लाक अध्यक्ष सुभाष रावत
प्रमुख क्षेत्र पंचायत ऊखीमठ श्वेता पांडे, ज्येष्ठ प्रमुख कविता नौटियाल, मनोज पांडे सहित क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि व क्षेत्र की जनता उपस्थित थी।
गौरतलब है कि यदि पहाड़ी क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण की स्थिति बिगड़ती है, तो सीमित स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण हालात बिगड़ सकते हैं ।
ऐसे में त्रिवेंद्र सरकार को जनता की नाराजगी झेलनी होगी ।
राज्य में चुनाव भी लगभग एक साल बाद होने हैं ।
निश्चित रूप से सरकार को विकल्प और वार्ता दोनों से काम लेना होगा । क्योंकि अर्थव्यवस्था और जनता की जान दोनों दांव पर लगे हैं ।