नरेंद्र मोदी के जोशीले भाषणों से जनता को एक मजबूत डबल इंजन की सरकार की आस जगी थी, परन्तु यहां भी मामला चिराग तले अंधेरे का ही है | देहरादून जनपद में ही विधानसभा से मात्र दस बारह किमी की दूरी पर मालदेवता के लाल पुल से आगे छमरौली तक सड़क के नाम पर केवल कटा हुआ पहाड़ बाकी है | ऐसा नहीं है कि यहां सड़क नहीं थी पर 2014 की आपदा में सड़क नष्ट हो गई और तब से विकास का दम भरने वाली भाजपा सरकार ने इस ओर झांक कर भी नहीं देखा |
यह सड़क प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत आती है तो इसकी सीधी जिम्मेदारी प्रधानमंत्री की ही मानी जानी चाहिये | ग्रामीणों से पूछने पर पता चला कि कई बार टेंडर हुए लेकिन काम नहीं हुआ है | अब बेचारे विरोध प्रदर्शन करें तो आज के चलन के हिसाब से उनको देशद्रोही का लकब मिल जाएगा | ग्रामीणों ने बताया कि न नेताओं के कान पर जूं रेंगती है और न अधिकारियों के, खुद मुख्यमंत्री ने यहां का दौरा करते हुए सड़क की हालत देख कर कहा था कि यहां तो चिराग तले अंधेरा है, पर अब तक रोशनी का इंतजाम नहीं किया गया है | ग्रामीण उम्मीद लगा कर बैठे हैं कि इस बार मानसून के बाद सड़क बन जाएगी | मजे की बात यह है कि इस सड़क को धनौल्टी का रूट बनाया गया है और गूगल मैप पर भी डाल दिया गया है | सैकड़ों सैलानी इस मार्ग पर जाते हैं और टूटा रास्ता देखते हुए वहां तक पंहुचते हैं जहां से रोड टूट कर बंद हो चुकी है | वहां से वो गूगल को गाली देते हुए लौटते हैं और जिनको गाली मिलनी चाहिये वो बच जाते हैं |

सड़क पर उगी है घास, विकास की है आस
ऐसा ही हाल मालदेवता से ताछला जाने वाली सड़क का है या यूं कह लें कि यह सड़क और बदतर स्थिति में हैं | सड़क के ठेके उठते छूटते रहते हैं और पहाड़, पेड़ काट कर फिर ठंडे बस्ते में लौट जाते हैं | फिलहाल इस छेत्र में तो विकास का डबल इंजन पटरी से उतरा हुआ है | संभवतः सरकार बहादुर अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक अपराधी गुप्ता बंधुओं के विवाह समारोह को ही सफलता पूर्वक संचालित करने को विकास मान रहे हैं |