सतपाल महाराज का सपरिवार कोरोना पॉजिटिव होना, बड़ी संख्या में लोगों को संक्रमित कर देना,
फिर एम्स में भर्ती होते ही चंद घंटों में डिस्चार्ज हो जाना, सोशल मीडिया पर बवाल मचते ही दोबारा एडमिट किया जाना,
इस पर एम्स प्रशासन द्वारा लीपा पोती करना, सरकार की चुप्पी, और अपने कैबिनेट मंत्री का बचाव करना
यह स्पष्ट करता है कि ” न भय न भ्रष्टाचार ” वाली सरकार दोहरे मानदंडों पर चलती है |
जो एक तरफ कोरोना पॉजिटिव हो कर छुपाने वालों पर हत्या और हत्या के प्रयास जैसी संगीन धाराएं लगाने के आदेश देती है
और खुद के मंत्री के ऐसा करने पर, हमने कुछ नहीं देखा, हमने कुछ नहीं सुना हम कुछ नहीं बोलेंगे की मुद्रा में आ गई है |
भारत में कोरोना वायरस इलीट क्लास की लापरवाहियों से ही फैला, जिसकी शुरुआत कनिका कपूर और विदेशों से लौटे अन्य धनी वर्ग के लोगों ने की
वहीं इसकी अगली कड़ी उत्तराखंड की भाजपा सरकार के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज बने |
नियमों के उल्लंघन और लापरवाही का जीता जागता उदाहरण बना यह वाकया
? लॉकडाउन के दौरान दिल्ली या मुजफ्फर नगर से कुछ लोग सतपाल महाराज के घर आए
उनमें से दो व्यक्ति बाद में कोविड संक्रमित पाए गए
सवाल यह है कि इन “विशिष्ट” अतिथियों को बिना 14 दिन क्वारंटीन पूरा किये आवास में प्रवेश की अनुमति क्यों मिली
क्या इन अतिथियों के साथ सतपाल महाराज के परिवार का कोई सदस्य भी दिल्ली से लौटा था
इसपर मंत्री जी का बयान यह आया था कि अतिथि आवास के अलग हिस्से में रुके थे जहां से संपर्क की कोई गुंजायश नहीं थी
परन्तु अब इस बयान पर भी सवाल बनता है कि अगर ऐसा था तो फिर सतपाल महाराज का पूरा परिवार कोरोना पॉजिटिव कैसे हो गया
? 20 मई से सतपाल महाराज के घर पर क्वारंटीन का नोटिस चिपका दिया गया था
जिसका तात्पर्य यह है कि न कोई व्यक्ति आवास में प्रवेश करेगा और न ही कोई व्यक्ति आवास से बाहर निकलेगा

house of satpal maharaj

notice of house seal from 20 may to 3 june
परन्तु इसके बाद भी सतपाल महाराज ने कैबिनेट बैठकों में हिस्सा लिया, अधिकारियों और कर्मचारियों से मिले, फाइलों पर हस्ताक्षर किये और इस प्रकार सभी नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए सभी संपर्क में आने वालों, और संपर्क में आने वालों के संपर्क में आने वालों तक को खतरे में डाल दिया
सतपाल महाराज की पत्नी अमृता रावत की तबियत 24 मई को खराब हुई | नोवल कोरोना वायरस 14 से 21 दिन बाद ही अपना प्रभाव दिखाता है |
यदि संक्रमण 14 दिन पहले का भी माना जाए तो यह 10 मई के आसपास की तारीख पर आता है या संभवतः इससे कुछ दिन पहले
8 मई को सतपाल महाराज ने अपने गांव सैंडियाखाल में भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की थी और 15 मई को संगलाकोटी आए थे
इस दौरान उनकी पत्नी जो इस घटना में प्रमुख कैरियर हैं वह भी उनके साथ थीं और निश्चित रूप से महाराज स्वयं भी संक्रमित हो चुके थे | वो ग्रामीणों से मिले और उनको राशन वितरित किया |
यह सब करते हुए उनके पुत्र सुयश रावत भी साथ थे जो कि संक्रमित पाए गए | आपदा के इस काल में पुत्र की पॉलिटिकल लांचिंग के लिये यह समय कितना मुफीद था, इसपर भाजपा और सरकार को मंथन करना चाहिये

उत्तराखंड सरकार के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज।
? सतपाल महाराज ने आरोग्य सेतु एप का काफी प्रचार प्रसार किया था
परन्तु उनके परिवार और स्वयं उन्होंने संभवतः ये एप डाउनलोड नहीं किया था
और अगर किया था तो पत्नी के बीमार होने के बाद उसे अपडेट क्यों नहीं किया गया
अंततः सतपाल महाराज को सपरिवार एम्स में भर्ती किया गया, और फिर कुछ समय बाद ही उनको एसिम्पटोमैटिक करार दे कर डिस्चार्ज भी कर दिया गया |
अस्पताल प्रशासन ने यह भी जानने का प्रयास नहीं किया कि सतपाल महाराज का घर ही नहीं पूरा डालनवाला क्षेत्र ही सील कर दिया गया है |
माना गया कि अस्पताल प्रशासन ने जिला प्रशासन से बिना तालमेल बिठाए यह कदम उठाया इसलिये यह चूक हुई
पर यह चूक है या जानबूझ कर की गई चूक, यह रहस्य अब बना रहेगा
अस्पताल प्रशासन ने अपने दूसरे बयान में बताया कि सतपाल महाराज के परिवार को एसिम्पटोमैटिक मान कर होम क्वारंटीन के निर्देश के साथ डिस्चार्ज किया गया
और जब यह पता चला कि उनके आवास पर होम क्वारंटीन की उचित व्यवस्था नहीं है तो उनको वापस ” आधे रास्ते से बुला कर ” एडमिट कर लिया गया |
इस बयान का झोल यहीं से समझा जा सकता है कि माननीय मंत्रीजी का आवास तो 20 मई से ही सील की मुहर के अंदर था.. तब भी पचासों लोग संक्रमित हो गए और सैकड़ों लोग संक्रमण के खतरे में आ गए |
इसी बीच सरकारी बयान भी आया कि
“कैबिनेट बैठक में माननीय मंत्रीगण व अधिकारी भारत सरकार के दिशा-निर्देशो के अनुसार माननीय कैबिनेट मंत्री श्री सतपाल महाराज के क्लोज कान्टेक्ट में न होने के कारण कम रिस्क वाले कान्टेक्ट के अंतर्गत आते हैं। वे अपना कार्य सामान्य रूप से कर सकते हैं और उन्हें क्वारेंटाईन किए जाने की आवश्यकता नहीं है।”
मजे की बात यह रही कि बयान जारी होने के बाद, मुख्यमंत्री समेत तीन मंत्री और कई बड़े अधिकारी सेल्फ क्वारंटीन हो गए |
वहीं दूसरी ओर सचिवालय के कर्मचारियों ने कार्यालय आने से मना कर दिया |
इस प्रकार सरकारी बयान और क्रियाकलाप में विसंगति यह स्पष्ट करती है कि सब कुछ सुचारु नहीं है
इस प्रकार एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि ने हजारों लोगों के जीवन को खतरे में डाल दिया
और कोरोना मामले में मरकज़ से लौटे लोगों पर दफा 302 और दफा 307 का मुकदमा कायम करने वाली सरकार और पुलिस शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर गाड़ कर बैठे हैं
अब जनता जरूर यह जानना चाहती है कि
1) मुख्यमंत्री इस लापरवाही पर क्या कार्यवाही करेंगे ?
2) भारत की जनता के लिये पल पल चिंतित प्रधानमंत्री क्या इस स्तर की चूक में हस्तक्षेप करेंगे ?
3) क्या इस पूरे मामले की सीबीआई जांच होगी ?
4) क्या सतपाल महाराज पर भी मुकदमा दायर किया जाएगा
5) क्या न भय न भ्रष्टाचार के नारे वाली वर्तमान सरकार इस लापरवाही पर भी जीरो टॉलरेंस दिखाएगी ?
- Abhishek Kumar