सऊदी अरब ने लंबे समय से आलोचना के निशाने पर रही अपनी श्रम नीति में सुधार करने के संकेत दिए हैं।
इससे लाखों विदेशी मजदूरों पर लगने वाले प्रमुख प्रतिबंध हटा दिए जायेंगे।
सऊदी अरब में कफ़ाला प्रायोजन (स्पॉन्सरशिप) व्यवस्था है,
जिसे उसके आलोचक गुलामी और बंधुआ मजदूरी के आधुनिक रूप के रूप में देखते रहे हैं।
मानव अधिकार संगठन लगातार सऊदी अरब से इस व्यवस्था को समाप्त करने के लिए कहते रहे हैं।
सऊदी अरब के मानव संसाधन और विकास मंत्रालय ने कहा है कि
आगामी 14 मार्च से प्रवासी मजदूरों को अपनी नौकरियां बदलने, यात्रा करने या सऊदी अरब को छोड़ने के लिए
अपने नियोक्ता (एम्प्लॉयर) जिसे कफ़ील कहते हैं, की अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।
सऊदी अरब में लगभग 10 मिलियन विदेशी कार्य करते हैं,
और मंत्रालय के अनुसार यह कदम सऊदी अरब में काम करने के माहौल को सुधारने और कार्यक्षमता में वृद्धि के लिए उठाया गया है।
यह सुधार प्रवासी मजदूरों को बिना उन्हें रोजगार देने वाले की अनुमति के यात्रा करने की अनुमति देते हैं जिसके लिए उन्हें प्रशासन से आवेदन करना होगा और प्रशासन उनके नियोक्ता (एम्प्लॉयर) को उनके जाने की सूचना इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ही दे देगी।
परंतु यह सुधार और नए नियम सऊदी अरब के ही लगभग 4 मिलियन घरेलू मजदूरों पर लागू नहीं होंगे।
ह्यूमन राइट्स वॉच ने पिछले हफ्ते कहा था कि
सऊदी अरब में खाड़ी देशों में सर्वाधिक कठोर कफ़ाला व्यवस्था है जो बंधुआ मजदूरी और गुलामी जैसी स्थिति को जन्म देता है।
सऊदी अरब की संपत्ति और अर्थव्यवस्था लाखों प्रवासी श्रमिकों के कंधों पर बनी है और इसलिए वह कानूनी सुरक्षा तथा अपने अधिकारों की सुरक्षा के अधिकारी हैं।
कोरोनावायरस महामारी के समय लाखों प्रवासी श्रमिक सऊदी अरब में फंसे रह गए थे,
जिसके कारण मानव अधिकार पर यह मुद्दा और तेजी से नज़र में आया।
वहीं सऊदी अरब के अनुसार इन सुधारों का उद्देश्य
अपने देश में कार्य करने की स्थितियों में सुधार कर और अधिक टैलेंट को देश में आकर्षित करना है।