उत्तराखंड जनजाति आयोग ने आज एक लंबित मामले का जनहित में निबटारा कर दिया।
चकराता के सिलीखड्ड में सुनोई से पेन्हुआ तक के मार्ग निर्माण में समरेखण को लेकर विवाद होने के कारण स्वीकृति के बावजूद काम शुरू नहीं हो पाया था। अपनी शिकायतें लेकर ग्रामीण उत्तराखंड जनजाति आयोग पहुंचे और उन्होंने बताया कि कृषि भूमि और फलदार पेड़ इत्यादि का भी नुकसान होगा।
उत्तराखंड जनजाति आयोग के अध्यक्ष मूरत राम शर्मा ने मार्ग निर्माण पर रोक लगाई और स्वयं वहां जाकर वस्तुस्थिति का जायजा लिया।
आज उन्होंने इस विवाद को निपटाने हुए सभी पक्षों को बुलाया और इस बात पर सहमति हुई कि सड़क निर्धारित समरेखण पर ही बनेगी तथा ग्रामीणों को होने वाले नुकसान की भरपाई विभाग करेगा।
इस प्रकार आयोग के अध्यक्ष की सूझबूझ से सड़क निर्माण का कार्य दोबारा प्रारंभ हो जाएगा और दुर्गम क्षेत्र भी सड़क मार्ग से जुड़ जाएंगे।
यदि पुनः समरेखण होता तो यह मामला लंबे समय के लिए लंबित हो सकता था।
इस बात को ध्यान में रखते हुए आयोग के अध्यक्ष मूरत राम शर्मा ने सभी पक्षों को समझा-बुझाकर यह फैसला लिया और क्षेत्र के विकास और जनहित के पक्ष में निर्णय किया।
इवेंट रिव्यू से हुई वार्ता में उत्तराखंड जनजाति आयोग के अध्यक्ष मूरत राम शर्मा ने बताया कि पी डब्लू डी विभाग ने इस सड़क निर्माण के लिए धन स्वीकृत किया था, परंतु ग्राम पेन्हुआ के ग्रामीण इससे सहमत नहीं थे और उन्होंने आयोग को एक शिकायती पत्र दिया। आयोग ने दोनों पक्षों को बुलाकर सहमति कराने का प्रयास किया परंतु सहमति नहीं बनी।
अतः आयोग ने यह निर्णय लिया की मौके पर जाकर ही वस्तुत वस्तुस्थिति का जायजा लिया जाएगा। मौके पर पहुंचने के बाद वहां दोनों पक्ष अर्थात विभाग और ग्रामीण साथ एकत्रित थे। मुआयने के बाद यह निर्णय लिया गया कि जनहित सर्वोपरि है अतः यदि पैसा स्वीकृत हुआ है तो सड़क निर्माण होना ही चाहिए।
अतः निर्णय लिया गया है कि समरेखित स्थान पर ही सड़क निर्माण होगा और पी डब्ल्यू डी विभाग ग्रामीणों को होने वाले नुकसान की भरपाई करेगा। यह पैसा अगर पुनः समरेखण के लिए जाता तो इस कार्य में बहुत अधिक विलंब हो जाता है।
अतः दोनों पक्षों को सहमत करते हुए जनहित में यह निर्णय लिया गया है।