विभाग लगा रहे एक-दूसरे पर आरोप
एक तरफ सरकार कोरोना के कारण वापस लौटे लोगों को यहीं रोज़गार दे कर रोकने के मंसूबे बना रही है। मुख्यमंत्री एक रुपए में पानी का कनेक्शन बाँट रहे हैं। वहीँ दूसरी ओर पहाड़ पर जनता बूँद बूँद पानी को तरस रही है। यदि स्थिति न बदली तो यह सब सरकारी योजनाएं सफेद हाथी ही साबित होंगी।
चमियाला(टिहरी)। लगभग चार(4) करोड़ की धनराशि से भी अधिक लागत से बनी 14 किमी लंबी छतियारा-सेंदुल पेयजल योजना लोगोंकी प्यास बुझाने में नाकाम साबित हो रही है।
पाइप लाइन में एक सप्ताह से पानी नहीं चलने से आधा दर्जन गांवों से लेकर बालगंगा घाटी में पेयजल संकट बना हुआ है।
ग्रामीण बूंद-बूंद पानी के लिए भटकने को मजबूर हैं।
भिलंगना ब्लाक के बालगंगा तहसील के लाटा, चमियाला गांव,चमियाला बाजार, श्रीकोट, चमोलगांव, बेलेश्वर, सिल्यारा,केमरा, सेंदुल गांव से लेकर बाल गंगा महाविद्यालय समेत कई शिक्षण संस्थाओं को पेयजल आपूर्ति करवाने के लिए वर्ष 2013-14 में लगभग चार करोड़ से भी अधिक की लागत से बालगंगा नदी से 14 किमी लंबी छतियारा-सेंदुल पेयजल लाइन बनाई गई थी।
लेकिन पेयजल योजना का निर्माण मानकों के अनुरूप न होने के कारण पर्याप्त पेयजल आपूर्ति नहीं हो पाती है।
गर्मी का मौसम शुरू होते हुए स्रोत से पानी की मात्रा कम हो जाती है। वर्तमान में बरसात के मौसम में पानी पीने लायक तो दूर बाथरूम के प्रयोग करने लायक भी नही होता है ।
एक सप्ताह से अधिक समय से पेयजल लाइन पर पानी नहीं चलने के कारण गांवों में गंभीर पेयजल संकट बना हुआ है।
वहीं जब इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रदेश सचिव( NSUI) नित्यानंद कोठियाल द्वारा अधिशासी अभियंता जलसंस्थान घनसाली से बात की गई
सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रदेश सचिव( NSUI) नित्यानंद कोठियाल
तो उनका कहना है कि यह पानी आदमी सिर्फ बाथरूम एवं पशुओं के लिए प्रयोग में ला सकता है ।
अपना पल्ला झाड़ते हुए उन्होंने कहा कि यह योजना जलनिगम के द्वारा हमारे हैंडओवर हुई है । और जलनिगम द्वारा कार्य मानकों के अनुरूप नही किया गया है ।
जब नित्यानंद कोठियाल द्वारा यह पूछा गया कि आपको पता होते हुए भी कि कार्य मानकों के अनुरूप नही बना है। आपने अपने हैंडओवर कैसे ले लिया ?
तो अधिशासी अभियंता का कहना है कि उस समय ऐसा आदेश निकला था कि योजना जैसी है जिस स्थिति में है हैंडओवर लेना पड़ेगा ।
वहीं जब नित्यानंद कोठियाल द्वारा अधिशासी अभियंता जलनिगम से इस मामले में बात की गई तो अधिशासी अभियंता जलनिगम का कहना है कि जलसंस्थान उक्त योजना को चलाने में असफल है। क्योंकि उन्होंने पानी फ़िल्टर टैंक में न डालकर बायपास कर रखा है इसलिए गंदा पानी आ रहा है।
जल निगम का कहना है कि जब उक्त योजना मानकों के अनुरूप नही बनी थी तो जलसंस्थान ने हैंड ओवर क्यों लिया ।
वहीं ग्रामीण दोनों विभागों के चक्कर से बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। ग्रामीण हैंडपंपो एवं गदेरों का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं।
वहीं जब अधिशासी अभियंता जलनिगम नवनीत कटारिया से बात की गई तो उनका कहना है कि जब यह योजना 2014 से 2017 तक हमारे पास थी तब यह योजना ठीक चल रही थी।
उनका यह भी कहना है कि अगर जलसंस्थान इस योजना को उसी स्थिति में हमें वापस करता है, तो हम इस योजना को चलाने में पूर्ण रूप से सक्षम हैं।
जलनिगम के अधिशासी अभियंता कटारिया का कहना है कि जलसंस्थान उक्त योजना की देख-रेख ढंग से नहीं कर पा रहा है।
उनका कहना है कि अगर जलसंस्थान द्वारा हमारे ऊपर आरोप रहा है, तो उक्त पूरी पेयजल योजना की गहनता से जांच की जाए।
अब सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है और जनता भी मांग उठा रही है कि उक्त पेयजल योजना से जुड़े हर घटना एवं पहलू की जांच की जाये।
ताकि ये जो चार करोड़ से अधिक की धनराशि का चूना जनता को लगाया गया है उसके दोषियों का पता लग सके।
वहीं जनता का यह भी कहना है कि सरकार की तरफ से विभाग को उक्त योजना के रखरखाव एवं मेंटेनेंस के लिए जो पैसा मिलता है, उसका भी कोई पता नहीं लग पा रहा है।
जलनिगम के अधिकारी भी इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि 16 करोड़ रु के लगभग टिहरी जनपद को मेंटेनेंस के लिए प्रत्येक वर्ष दिए जाते हैं ।
लोगों का कहना है कि जब गंदा पानी आता है तो लोगों द्वारा विभाग से शिकायत करने पर विभाग द्वारा पानी बंद कर दिया जाता है।
वहीं एक स्थानीय उपभोक्ता आर.एस. पोखरियाल द्वारा यह भी बताया गया है कि जब उन्होंने इस मामले में एक दो बार cm portal पर पानी को लेकर शिकायत दर्ज करवाई तो अधिशासी अभियंता घनसाली द्वारा उक्त उपभोक्ता को यह कहकर शिकायत बंद करवा दी गयी कि उक्त उपभोक्ता पहले भी कई बार शिकायत कर चुका है।
उल्टा उपभोक्ता पर प्लम्बर के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग करने एवं खुद की लाइन चोक होने का आरोप लगा डाला।
उपभोक्ता का कहना है कि जब जलसंस्थान द्वारा कचरा युक्त पानी की सप्लाई की जा रही है तो पर्सनल लाइन चोक होना स्वाभाविक है ।
जब उक्त उपभोक्ता ने अधिशासी अभियंता जलसंस्थान से बात करनी चाही तो अधिशासी अभियंता द्वारा उपभोक्ता का मोबाईल नंबर रिजेक्ट लिस्ट में डाल दिया गया ।
उक्त गांवों में सप्ताह भर से ऊपर पीने के पानी का संकट बना हुआ है। जिसके बावजूद विभाग को अवगत कराने पर समस्या का निराकरण नहीं हो रहा है।
अपनी किरकिरी से बचने के लिए विभाग द्वारा इस कड़कती धूप में 2:00 बजे पानी का टैंकर भेजा जा रहा है ।
क्या लोग विभाग को जो टैक्स देते हैं वह इसी कार्य के लिए है ।
वहीं ग्रामीणों का कहना है कि एक तो लोग कोरोना से निजात पाने के लिए दिन रात झेल रहे है और जलसंस्थान लोगों के घरों तक गंदा पानी सप्लाई करके बीमारी को न्योता दे रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि जल्द पेयजल आपूर्ति बहाल नहीं होने पर दोनो विभागों का घेराव कर आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी जलसंस्थान की होगी ।