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BKTC- विभागीय ढांचे में बड़े बदलाव व वित्तीय पारदर्शिता की दिशा में गंभीर पहल

बीकेटीसी अध्यक्ष ने दो वर्ष के कार्यकाल पर गिनाईं उपलब्धियां

देहरादून। श्री बदरीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) में विगत दो वर्ष के कार्यकाल में छोटे – मोटे अंतर्विरोधों के बावजूद विभागीय ढांचे में बड़े बदलावों के साथ वित्तीय पारदर्शिता की दिशा में गंभीर पहल की गयी है। बीकेटीसी में बदलावों की पहल के साथ ही मंदिरों के जीर्णोद्वार और यात्री सुविधाओं के दृष्टिगत वर्षों से लंबित पड़ी योजनाओं पर भी तेजी से कार्य शुरू हुए हैं। जनवरी 2022 में विधानसभा चुनावों की आचार संहिता लागू होने से कुछ समय प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को भंग कर वरिष्ठ भाजपा नेता अजेंद्र अजय की अध्यक्षता में बीकेटीसी बोर्ड का गठन किया था।

अजेंद्र ने अध्यक्षता संभालते ही बीकेटीसी की व्यवस्थाओं को ढर्रे पर लाने की कोशिशें शुरू कर दी थीं। वर्ष 1939 में अंग्रेजों के समय गठित बीकेटीसी में वर्ष 2022 से पूर्व कभी भी कार्मिकों के स्थानांतरण नहीं हुए थे। करीब सात सौ कार्मिकों वाली बीकेटीसी में वर्ष 2022 में पहली बार व्यापक स्तर पर स्थानांतरण किये गए। कई कार्मिकों ने स्थानान्तरण रोकने के लिए दवाब की रणनीति भी अपनायी, किन्तु अध्यक्ष के कठोर रुख के कारण उन्हें सफलता नहीं मिल सकी। Badri-Kedar Mandir committee

यह तथ्य आश्चर्जनक है कि आजादी से पूर्व गठित बीकेटीसी में इतने वर्षों बाद भी कर्मचारी सेवा नियमावली नहीं थी। बीकेटीसी के ढांचे को दुरुस्त करने, नियुक्तियों में पारदर्शिता लाने और कार्मिकों की पदोन्नत्ति आदि विसंगतियों को दूर करने की दिशा में वर्तमान बोर्ड ने ऐतिहासिक पहल करते हुए कर्मचारी सेवा नियमावली तैयार की और विगत दिवस सम्पन्न हुयी प्रदेश कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी मिल गयी। बीकेटीसी में बड़े स्तर पर वित्तीय लेनदेन होने के बावजूद वित्त अधिकारी नहीं था। बीकेटीसी बोर्ड ने वित्तीय पारदर्शिता के मद्देनजर गत वर्ष वित्त अधिकारी का पद सृजित करने और इस पर प्रदेश वित्त सेवा के अधिकारी की तैनाती के लिए शासन से अनुरोध किया था। बीकेटीसी के अनुरोध पर शासन ने वित्त अधिकारी का पद सृजित करते हुए इस पर प्रदेश वित्त सेवा के अधिकारी को नियुक्त कर दिया।

बीकेटीसी ने विगत दो वर्षों में बदरीनाथ व केदारनाथ के अलावा ऐतिहासिक व पौराणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण अपने अधीनस्थ मंदिरों के जीर्णोद्धार, विस्तारीकरण व सौंदर्यीकरण की योजनाओं पर भी तेजी से काम किया। बाबा केदारनाथ की शीतकालीन गद्दी स्थल ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के जीर्ण – शीर्ण कोठा भवन के जीर्णोद्धार की मांग स्थानीय जनता द्वारा तीन दशकों से की जा रही थी। पूर्व में दो – दो मुख्यमंत्रियों द्वारा इसका भूमि पूजन किये जाने के बावजूद इसका निर्माण नहीं हो सका था। वर्तमान मंदिर समिति ने देश के एक प्रतिष्ठित मीडिया समूह के सहयोग से ना केवल कोठा भवन के निर्माण की दिशा में कार्य किया, अपितु सम्पूर्ण मंदिर परिसर के सौंदर्यीकरण व विस्तारीकरण की योजना बना कर इसे एक वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में उभारने की विस्तृत कार्ययोजना पर काम शुरू कर दिया है।

इसी प्रकार वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में प्रसिद्ध त्रियुगीनारायण को भी दिव्य व भव्य स्वरुप देने के साथ वहां पर यात्री सुविधाओं के विकास की कार्ययोजना तैयार की है, जिस पर निर्माण कार्य शीघ्र ही शुरू हो जाएगा। केदारनाथ धाम में आपदा के पश्चात ध्वस्त हुए ईशानेश्वर मंदिर का रिकॉर्ड एक वर्ष की अवधि में निर्माण कार्य पूरा किया गया। विश्व में सबसे ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर श्री तुंगनाथ के शीर्ष पर स्थित छतरी जीर्ण – शीर्ण स्थिति में थी। विगत वर्ष इस छतरी का नए सिरे से निर्माण कराया गया। केदारनाथ धाम में आपदा में ध्वस्त हुए बीकेटीसी के कार्यालय समेत आवासीय भवनों के निर्माण की दिशा में गत वर्ष पहल की गयी। परिणामस्वरूप 18 कक्षों के एक भवन के आगामी यात्राकाल तक पूर्ण होने की सम्भावना है। गुप्तकाशी मंदिर परिसर में स्थित वर्षों पूर्व ध्वस्त हुए भैरव मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए विगत माह टेंडर की प्रक्रिया पूरी हो गयी। जल्द ही इसका निर्माण कार्य भी शुरू हो जायेगा।

मंदिर समिति ने विगत वर्ष यात्रा काल से पूर्व अपने विभिन्न विश्राम गृहों की मरम्मत व सौंदर्यीकरण के कार्य भी व्यापक स्तर पर कराये, ताकि यात्री सुविधाओं में विस्तार हो सके। आगामी दिनों में कुछ विश्राम गृहों के उच्चीकरण का प्रस्ताव बोर्ड बैठक में पारित कर दिया गया है। बीकेटीसी ने यात्री सुविधाओं को लेकर अन्य भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं, जिनकी विभिन्न स्तरों पर प्रशंसा भी हुयी है। विगत दो वर्ष के कार्यकाल में एक सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि केदारनाथ धाम के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित कराने का रहा है। इससे केदारनाथ धाम के गर्भ गृह ने स्वर्णिम आभा ले ली है और यह श्रद्धालुओं के आक्रषण का केंद्र भी बना है। हालांकि, राजनीतिक कारणों से कुछ लोगों द्वारा इस पर विवाद भी खड़ा करने की कोशिश की गयी।

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